क्या केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने 'जी राम-जी' बिल की विशेषताएं साझा की और कांग्रेस पर तंज कसा?
सारांश
Key Takeaways
- जी राम-जी बिल ग्रामीण विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान रोजगार सृजन में सहायक होगा।
- कम विकासित गांवों को अधिक धन का आवंटन किया जाएगा।
- सामाजिक सुरक्षा और विकास के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
- जल संरक्षण और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया जाएगा।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रस्तुत किया गया विकसित भारत: जी-राम-जी- ‘विकसित भारत: रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल, 2025’ लोकसभा में स्वीकृत हो गया। केंद्रीय मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बिल की विशेषताएं बताई हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा मनरेगा का जिक्र करती है, लेकिन यूपीए सरकार ने मनरेगा पर कितना खर्च किया? उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार ने 2006 से 2014 तक मनरेगा पर कुल 2 लाख 13 हजार 220 करोड़ 39 लाख रुपए खर्च किए, जबकि एनडीए सरकार ने 2024-25 तक 8 लाख 53 हजार 810 करोड़ 91 लाख रुपए खर्च किए हैं।
चौहान ने कहा कि यूपीए सरकार में 1660 श्रम दिवस सृजित किए गए, जबकि हमारी सरकार ने 3210 श्रम दिवस सृजित किए हैं। उन्होंने कहा कि हमने रोजगार और विकास के काम में वृद्धि की है। यदि नई योजना बनती है तो यह गलत नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमने एक संपूर्ण योजना बनाई है जिसमें विकसित गांवों का स्वरूप, जल संरक्षण, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी भवन, और आजीविका से जुड़े काम शामिल हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं के नुकसान को रोकने के उपाय भी किए गए हैं। सबसे बड़ा सुधार फंड के न्यायपूर्ण वितरण का प्रावधान है, ताकि कम विकासित गांवों को अधिक धन दिया जाए। इसमें विपक्षी पार्टियों को क्या आपत्ति है?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बेरोजगारी भत्ता को और मजबूत किया गया है। यदि 15 दिन के अंदर मजदूरी नहीं मिलती है तो 0.05 प्रतिशत रोज के हिसाब से अतिरिक्त देना होगा। कमजोर वर्गों का विशेष ध्यान रखा गया है।
उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य कमजोर वर्ग और दिव्यांग बुजुर्गों के लिए रोजगार गारंटी कार्ड प्रदान किए जाएंगे। उन्हें कम काम के लिए भी अधिक मजदूरी मिलेगी।
चौहान ने कहा कि जब यूपीए की सरकार थी, तब शरद पवार कृषि मंत्री थे। नरेगा पर चर्चा के दौरान यह भी कहा गया था कि कृषि कार्य प्रभावित न हों, इसके लिए धन दिया जाना चाहिए। शरद पवार ने भी इस पर चिंता जताई थी। 36 प्रतिशत हमारे किसान सीमांत और लघु हैं।
चौहान ने कहा कि पीएम गति शक्ति को जोड़कर यह प्रयास किया गया है कि काम का दोहराव न हो। आवश्यकता और उपयोगिता पर जोर दिया गया है। प्रशासनिक व्यय को 6 प्रतिशत से 9 प्रतिशत बढ़ाया गया है। 13 हजार करोड़ रुपए प्रशासनिक व्यवस्थाओं के लिए निर्धारित किए गए हैं, ताकि रोजगार सहायक को वेतन मिल सके। यह विकसित भारत के लिए विकसित गांव बनाने की पहल है, इसलिए यह नई योजना लाई गई है।