क्या केरल एक्ट्रेस असॉल्ट केस में दिलीप कानूनी एक्शन लेंगे?
सारांश
Key Takeaways
- दिलीप का कानूनी रुख
- केरल सरकार की अपील
- मंजू वारियर पर आरोप
- पुलिस की भूमिका पर सवाल
कोच्चि, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। साल 2017 के विवादास्पद एक्ट्रेस अपहरण और हमले मामले में ट्रायल कोर्ट से बरी हुए मलयालम अभिनेता दिलीप ने एक कठोर कदम उठाते हुए कहा कि वह अब उन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने जानबूझकर उनके नाम को इस मामले में शामिल किया।
वहीं, केरल सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने का निर्णय लिया है।
कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद दिलीप ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनके नाम को इस केस में शामिल करने के पीछे एक बड़ी साजिश की जांच कराएंगे।
उनका आरोप है कि जांच टीम ने मुख्यमंत्री को गुमराह किया और कुछ अधिकारियों ने अपने निजी लाभ के लिए उन्हें फंसाया है। कोर्ट के फैसले की प्रमाणित कॉपी मिलने के बाद वे आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे।
दिलीप ने सीधे तौर पर अभिनेत्री मंजू वारियर (पूर्व पत्नी) पर आरोप लगाते हुए कहा कि मंजू ने उन्हें फंसाने की शुरुआत की थी। उन्होंने दरबार हॉल ग्राउंड में अम्मा (एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स) की मीटिंग में दिए अपने भाषण का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक्ट्रेस पर हमले के पीछे की साजिश का पर्दाफाश होना चाहिए।
दिलीप का दावा है कि इस भाषण के तुरंत बाद उन्हें इस मामले में आरोपी बना दिया गया।
हालांकि, मंजू वारियर ने इन आरोपों का कोई जवाब नहीं दिया है।
दिलीप के वकील बी. रमन पिल्लई ने भी आरोप लगाया कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अभिनेता को फंसाने की साजिश की थी। उन्होंने एडीजीपी बी. संध्या का नाम लिया, जो जांच की देखरेख कर रही थीं, और कहा कि साजिश की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं ने ली थी।
दिलीप ने यह भी दावा किया कि कुछ पुलिस के क्रिमिनल लोगों ने जेल के कैदियों के साथ मिलकर उनकी जिंदगी और करियर को बर्बाद करने के लिए झूठी बातें बनाई।
इस बीच, राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह ट्रायल कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेगी, जिसमें लगभग आठ साल की कानूनी कार्रवाई के बाद दिलीप को बरी कर दिया गया था।
वी.डी. सतीशन ने कहा कि 2017 में जब एक्ट्रेस पर हमला हुआ था, तब कांग्रेस विधायक पी.टी. थॉमस ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और केस दर्ज कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके दखल के बिना यह केस या तो दब जाता या इतना आगे कभी नहीं बढ़ पाता। पूर्व राज्य पुलिस प्रमुख टी.पी. सेनकुमार ने 2017 में ही स्पष्ट कर दिया था कि दिलीप के खिलाफ कोई ठोस या वैध सबूत नहीं था, इसलिए उन्हें आरोपी नहीं बनाया जाना चाहिए था।
अब कोर्ट के बरी फैसले के बाद उन्होंने दोहराया कि बिना सबूत के गिरफ्तारी और जांच बनाना गलत था, जो जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
टी.पी. सेनकुमार ने कहा, “मामलों की जांच का यह सही तरीका नहीं है। क्या जांच इस तरह होनी चाहिए कि पहले किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लो, फिर उसके खिलाफ सबूत बनाने की कोशिश करो और इसके लिए झूठी कहानियां तक गढ़ी जाएं?”