क्या केरल में केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी से जुड़े फर्जी मतदाता नामांकन मामले में अदालत का हस्तक्षेप होगा?
सारांश
Key Takeaways
- बूथ लेवल ऑफिसर को अदालत में पेश होने का निर्देश
- केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी पर गंभीर आरोप
- टी.एन. प्रतापन की शिकायत पर न्यायिक जांच
- मतदाता नामांकन की प्रक्रिया पर सवाल
- केरल में चुनावी प्रक्रिया की निगरानी
त्रिशूर, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिशूर की न्यायिक प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट अदालत ने केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी से संबंधित एक कथित अवैध मतदाता नामांकन मामले में सोमवार को बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को नोटिस जारी किया है।
यह कार्रवाई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद टी.एन. प्रतापन द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है, जिसमें पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट में कथित रूप से अवैध तरीके से नाम जोड़ने को लेकर आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है।
सुरेश गोपी ने लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करते हुए केरल में पहली बार कमल खिलाने का दावा किया था।
अदालत ने चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों से स्पष्टीकरण लेने के लिए प्रथम दृष्टया आधार पाए जाने पर संबंधित बीएलओ को 20 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सुरेश गोपी, उनके भाई सुभाष गोपी और परिवार के अन्य सदस्यों को त्रिशूर विधानसभा क्षेत्र के मुक्कट्टुकारा मतदान केंद्र में अवैध रूप से मतदाता के रूप में पंजीकृत किया गया, जबकि वे उस स्थान के लिए पात्र नहीं थे।
याचिका के अनुसार, मतदाता नामांकन कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया, जो बूथ लेवल ऑफिसर की मिलीभगत से रची गई आपराधिक साजिश का हिस्सा बताया गया है।
टी.एन. प्रतापन ने दलील दी कि इन कथित अनियमितताओं से चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हुई है और इस मामले में न्यायिक जांच आवश्यक है।
याचिका पर विचार करते हुए अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि कथित घटना के समय सुरेश गोपी सार्वजनिक पद पर नहीं थे, क्योंकि यह मामला उनके केंद्रीय मंत्री बनने से पहले का है। इसी आधार पर अदालत ने कहा कि सार्वजनिक सेवकों से संबंधित प्रावधानों के तहत उन्हें पूर्व सूचना देना आवश्यक नहीं है।
इसके बाद अदालत ने सीधे तौर पर जिम्मेदार रहे बूथ लेवल ऑफिसर को नोटिस जारी करने का फैसला किया।
नोटिस में अधिकारी को 20 जनवरी को अदालत में उपस्थित होकर आरोपों पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।
यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब केरल में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियानों के बीच मतदाता सूची और वोटर डेटा की शुद्धता को लेकर कड़ी निगरानी की जा रही है।