क्या केरल के स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा की शुरुआत उम्मीद भरी है?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने चुनाव में आशाजनक शुरुआत की है।
- वाम मोर्चा हल्की बढ़त बनाए हुए है।
- कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार बेहतर है।
- राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना है।
- जिला पंचायतों के नतीजे राजनीतिक ताकत का पैमाना हैं।
तिरुवनंतपुरम, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल में स्थानीय निकाय चुनावों की मतगणना शनिवार सुबह से चल रही है। शुरुआती रुझानों में राज्यभर में मिश्रित और बदलती हुई तस्वीर दिखाई दे रही है।
प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने उम्मीद से अधिक अच्छी शुरुआत की है। वहीं, सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाला वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) अपेक्षानुसार हल्की बढ़त बनाए हुए है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) भी 2020 के स्थानीय निकाय चुनावों की तुलना में इस बार बेहतर प्रदर्शन करता नजर आ रहा है। कई क्षेत्रों में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है, खासकर नगर पालिका में, जहां एक-एक वार्ड के लिए संघर्ष जारी है।
जिला पंचायतों के स्तर पर यूडीएफ को कुछ बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि ग्राम पंचायतों में माकपा की स्थिति मजबूत बनी हुई है। ब्लॉक पंचायतों में भी सीपीआई (एम) आगे नजर आ रहा है।
नगर निगमों के कई वार्डों में भी सीपीआई (एम) को शुरुआती बढ़त मिलती दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिला पंचायतों के नतीजों को राज्य में राजनीतिक ताकत का सबसे महत्वपूर्ण पैमाना माना जाता है, इसलिए सभी दलों की नजर इन्हीं परिणामों पर टिकी हुई है।
फिलहाल कन्नूर को छोड़कर राज्य के अधिकांश नगर निगम वाम मोर्चे के नियंत्रण में हैं, लेकिन शुरुआती रुझानों से संकेत मिल रहा है कि मतगणना आगे बढ़ने पर इस स्थिति में बदलाव संभव है।
राजधानी तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए शुरुआती दौर में आगे चल रहा है, हालांकि मुकाबला बेहद करीबी है और वाम मोर्चा भी यहां मजबूत स्थिति में बना हुआ है। पलक्कड़ में भी एनडीए के प्रदर्शन को लेकर सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।
त्रिशूर नगर निगम में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने शुरुआती बढ़त बनाई है, हालांकि यहां भाजपा तेजी से अंतर कम करती दिख रही है, जबकि वाम मोर्चे का प्रदर्शन अपेक्षा से कमजोर बताया जा रहा है।
एर्नाकुलम नगर निगम में कांग्रेस को आंतरिक बगावत यानी 'रिबेल फैक्टर' का नुकसान झेलना पड़ता नजर आ रहा है। यह उन छह नगर निगमों में शामिल था, जहां कांग्रेस को जीत की उम्मीद थी। वहीं, कन्नूर नगर निगम में भी कांग्रेस अनुकूल नतीजों की उम्मीद लगाए बैठी है।
सुबह 9 बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, कुल वार्डों की संख्या के लिहाज से वाम मोर्चे को अभी भी हल्की बढ़त हासिल है, लेकिन अंतिम नतीजों को लेकर तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है। मतगणना के आगे बढ़ने के साथ राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।