क्या खरमास में शुभ कार्य कर सकते हैं, बस इन आसान नियमों का रखें ध्यान?
सारांश
Key Takeaways
- खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित हैं।
- इस समय धार्मिक गतिविधियाँ लाभकारी होती हैं।
- आप दान-पुण्य कर सकते हैं।
- खरमास के दौरान भूमि पूजन किया जा सकता है।
- इस समय मानसिक विकास के लिए साधना करें।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। खरमास का नाम सुनते ही कई लोग चिंतित हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि अब शादी या गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं कर सकते, लेकिन असलियत यह है कि खरमास केवल मांगलिक कार्यों पर रोक लगाता है। इसके अलावा, यह महीना अन्य शुभ कार्यों और पुण्य के लिए बेहद खास माना जाता है। यदि आप सही दिशा और नियमों को समझ लें, तो इस अवधि में आप अपने सारे कार्य सुगमता से कर सकते हैं।
सबसे पहले, यह जान लें कि खरमास कब आता है। पंचांग के अनुसार, जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास प्रारंभ होता है। यह समय १४ जनवरी २०२६ तक रहेगा। धार्मिक दृष्टि से, यह समय संयम, साधना और आत्म चिंतन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि आप एक महीने तक कोई शुभ कार्य नहीं कर सकते। बस आपको ध्यान रखना है कि विवाह और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य इस समय वर्जित हैं।
खरमास में धार्मिक गतिविधियां और पूजा-पाठ बहुत फलदायी माने जाते हैं। इस दौरान सूर्य देव की पूजा करना बहुत शुभ होता है। आप सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर स्वास्थ्य, ऊर्जा और मानसिक शक्ति बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, भगवान विष्णु की पूजा, व्रत रखना और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी बहुत लाभकारी होता है।
तीर्थ यात्रा भी इस दौरान फायदेमंद होती है। किसी पवित्र नदी में स्नान करना या धार्मिक स्थलों की यात्रा करना मोक्ष की दिशा में कदम बढ़ाने के समान है। इसके साथ ही, दान-पुण्य का महत्व भी बढ़ जाता है। जरूरतमंदों को अन्न, गर्म कपड़े या कंबल देना, गाय की सेवा करना, या गौशाला में दान करना पुण्य का कार्य है।
यदि आप घर और वास्तु से जुड़े कार्य कर रहे हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है। भूमि पूजन और नींव पूजन खरमास में किया जा सकता है। यह मांगलिक कार्यों में नहीं आता, इसलिए घर बनाने की तैयारी या नींव पूजन में कोई रुकावट नहीं आएगी। बस आपको गृह प्रवेश के लिए इंतजार करना होगा, जब खरमास समाप्त हो जाए।
हालांकि शादी या गृह प्रवेश नहीं कर सकते, लेकिन इस समय मानसिक और आत्मिक विकास के लिए कई कार्य किए जा सकते हैं। रोजाना भगवद् गीता का पाठ करना या सुनना, अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना और साधना में समय देना आपके मन को शांत और सकारात्मक बनाएगा।