क्या शिवपरिवार के साथ यहाँ भगवान कुबेर दर्शन देते हैं? आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह मंदिर है वरदान

सारांश
Key Takeaways
- भगवान कुबेर का मंदिर खिचलीपुरा में स्थित है।
- यह मंदिर आर्थिक समस्याओं के समाधान का प्रतीक है।
- शिव परिवार के साथ भगवान कुबेर की पूजा होती है।
- दीवाली के समय यहाँ विशेष पूजा आयोजित की जाती है।
- प्रतिमा अद्वितीय और चमत्कारी है।
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और हर त्योहार एक विशेष देवी-देवता को समर्पित होता है। धनतेरस और दीवाली के अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, क्योंकि इन्हें धन के देवता के रूप में माना जाता है।
क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश की धरती पर भगवान कुबेर भक्तों को एक अनोखे रूप में दर्शन देते हैं और हर एक मनोकामना पूरी करते हैं?
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में खिचलीपुरा में भगवान कुबेर का एक अद्भुत मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा है, तो भगवान कुबेर और शिव परिवार मिलकर उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस मंदिर में शिव परिवार के साथ भगवान कुबेर गुप्त काल से विराजमान हैं और भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। दीवाली के समय, मंदिर विशेष रूप से सजाया जाता है और दूर-दूर से भक्त अपनी इच्छाओं के साथ भगवान कुबेर की पूजा करने आते हैं। इस मंदिर की एक खास बात यह है कि गर्भगृह पर कभी ताला नहीं लगाया जाता है। वर्षों से यह मंदिर भक्तों के लिए खुला रहता है।
कहा जाता है कि यह मंदिर मराठों के शासनकाल में स्थापित हुआ था और यहाँ की प्रतिमा लगभग 7वीं शताब्दी में स्थापित की गई थी। कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर खिलजी के शासनकाल में बनाया गया था, जिसके कारण गांव का नाम खिचलीपुरा पड़ा। भगवान शिव और कुबेर का यह मंदिर आकार में छोटा है और इस पर कोई नक्काशी नहीं है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बिना नींव रखे हुई थी, जिसके कारण इसका निर्माण आगे नहीं हो सका।
यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में भगवान केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव के साथ कुबेर विराजमान हैं और दूसरा मंदिर खिचलीपुरा में है, जहाँ कुबेर भगवान शिव परिवार के साथ दर्शन देते हैं। इसलिए इस मंदिर को भी केदारनाथ के समान पूजनीय माना जाता है। यहाँ स्थापित प्रतिमाएं भी अद्वितीय हैं। भगवान कुबेर की प्रतिमा चतुर्भुजी है, जिनके हाथ में धन की पोटली, प्याला और अस्त्र-शस्त्र हैं। कुबेर की प्रतिमा नेवले पर सवार है।
लोगों का मानना है कि तंत्र से छुटकारा पाने में भगवान कुबेर सहायक होते हैं। गर्भगृह में भगवान शिव की प्रतिमा भी है, जिस पर भक्त जल अर्पित करते हैं, लेकिन यह जल जलकुंडी से बाहर नहीं निकलता। भक्तों का विश्वास है कि यहाँ चढ़ाया गया जल सीधे भगवान शिव और भगवान कुबेर तक पहुँचता है।