क्या भारत ने नागरिकों को रूसी सेना में शामिल न होने की सलाह दी?

सारांश
Key Takeaways
- रूसी सेना में भर्ती से जुड़ी चिंताएं बढ़ी हैं।
- सरकार ने नागरिकों को सावधान रहने की सलाह दी है।
- धोखे से भेजे गए नागरिकों के मामले की जांच चल रही है।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती के बारे में चिंताजनक जानकारियों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया संगठनों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारतीय सरकार ने पिछले वर्ष में कई बार इस प्रकार की भर्तियों से जुड़े जोखिमों और खतरों को उजागर किया है और नागरिकों को इस विषय पर सतर्क रहने की सलाह दी है।
प्रवक्ता ने आगे कहा, "हमें हाल में पता चला है कि कुछ भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया जा रहा है। हमने दिल्ली और मॉस्को में रूसी अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाते हुए इस प्रथा को समाप्त करने और हमारे नागरिकों को मुक्त करने की मांग की है।"
उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय प्रभावित भारतीय नागरिकों के परिवारों से संपर्क में है। प्रवक्ता ने भारतीय नागरिकों से रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहने की सख्त अपील की है और इसे एक खतरनाक कदम बताया।
यह बयान हाल ही में आई उन खबरों के संदर्भ में है, जिनमें कहा गया था कि कुछ भारतीय नागरिकों को धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजा गया।
एक प्रमुख समाचार पत्र में दावा किया गया कि पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में दो भारतीय पुरुषों को निर्माण कार्य के बहाने रूस लाया गया, लेकिन उन्हें युद्ध क्षेत्र में तैनात कर दिया गया। नवंबर 2024 में रूस के कब्जे वाले सेलिडोव शहर से फोन पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि कम से कम 13 अन्य भारतीय भी ऐसी ही स्थितियों में फंसे हुए हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ये दोनों भारतीय पिछले 6 महीनों में स्टूडेंट या विजिटर वीजा पर रूस गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि एक एजेंट ने उन्हें निर्माण क्षेत्र में रोजगार का वादा किया था, लेकिन उन्हें धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया।