क्या एआई कितना भी उन्नत हो जाए, किताबों का कोई विकल्प नहीं है?

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क्या एआई कितना भी उन्नत हो जाए, किताबों का कोई विकल्प नहीं है?

सारांश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास पर एक नई पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक राज्य की राजनीतिक यात्रा और विकास के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करती है। मुख्यमंत्री ने पुस्तक के महत्व और पढ़ाई के प्रति एक नई दृष्टि साझा की, जो तकनीक के युग में भी किताबों को महत्वपूर्ण बनाती है।

Key Takeaways

  • पुस्तकें ज्ञान का स्थायी स्रोत हैं।
  • एआई का विकास महत्वपूर्ण है, लेकिन किताबों का महत्व कम नहीं होता।
  • स्थानीय भाषाओं का संरक्षण आवश्यक है।
  • पुस्तकें विचारों को गहराई देती हैं।
  • राज्य सरकार स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।

देहरादून, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास पर वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध लेखक जय सिंह रावत द्वारा लिखित पुस्तक “उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास” का विमोचन किया। यह पुस्तक उत्तराखंड राज्य के राजनीतिक, प्रशासनिक और क्रमिक विकास की एक संपूर्ण और प्रामाणिक दस्तावेज़ी यात्रा को प्रस्तुत करती है।

कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने उपस्थित महानुभावों, लेखकों, पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए लेखक जय सिंह रावत को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए दिल से बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत जी ने राज्य के गठन के बाद की 25 वर्षों की राजनीतिक यात्रा को जिस सुसंगतता और प्रमाणिकता के साथ संकलित किया है, वह बेहद सराहनीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति और लोक परंपराओं पर कई पुस्तकें उपलब्ध हैं, लेकिन राज्य स्थापना के बाद की ढाई दशक की घटनाओं को तथ्यों, दस्तावेजों और विश्लेषण के आधार पर संग्रहित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे लेखक ने उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि पांच भागों में विभाजित यह पुस्तक शोधार्थियों, विद्यार्थियों और प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य बनने के बाद उत्तराखंड ने एक लंबा राजनीतिक अस्थिरता का दौर भी देखा, जिसका प्रभाव विकास की गति पर पड़ा। रावत जी ने इस संपूर्ण कालखंड का प्रामाणिक प्रस्तुतिकरण करते हुए दुर्लभ दस्तावेजों और प्रेस कतरनों की मदद से एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संकलन तैयार किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “इतिहास लिखना एक गंभीर दायित्व है, जिसमें तथ्य, दृष्टि और ईमानदारी का होना आवश्यक है। श्री रावत जी ने पत्रकारिता की निष्ठा और निर्भीकता के साथ इस कालखंड को सहेजने का कार्य किया है।”

पुस्तक अध्ययन पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के इंटरनेट युग में जानकारी तुरंत उपलब्ध हो जाती है, लेकिन किताबों का महत्व कभी कम नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारे विचारों को गहराई देती हैं और ज्ञान को स्थायी रूप से संजोती हैं।

मुख्यमंत्री ने सभी से अपील की कि “किसी भी कार्यक्रम में ‘बुके नहीं, बुक दीजिए।’ इससे जहां पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ेगी, वहीं लेखकों को भी प्रेरणा मिलेगी।”

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस तेज़ी से बदलते दौर में तकनीक का उपयोग आवश्यक है, लेकिन इसके साथ ही अपनी गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों को सुरक्षित रखना हम सभी का सामूहिक दायित्व है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा में भाषा कंटेंट, साहित्य और लोक परंपरा से जुड़े कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है और नई पीढ़ी के कंटेंट क्रिएटर के लिए इस दिशा में प्रतियोगिताएं आयोजित कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर स्थानीय भाषाओं में लेखन, गीत-संग्रह, शोध और डिजिटल कंटेंट तैयार करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहन और सम्मान देने की दिशा में सरकार सतत प्रयासरत है।

उन्होंने कहा कि “भाषा, संस्कृति और रीति-रिवाज केवल अभिव्यक्ति के माध्यम नहीं, बल्कि हमारी पहचान और विरासत की नींव हैं। इसलिए आवश्यक है कि हम अपनी बोली-भाषाओं का संरक्षण करें और आने वाली पीढ़ियों में इनके प्रति गर्व की भावना विकसित करें।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की नई पीढ़ी को यह बताना बहुत ज़रूरी है कि हमारे पूर्वजों ने कितनी कठिनाइयों और संघर्षों के बीच अपनी परंपराओं, सामाजिक मूल्यों और भाषा को बचाए रखा। जब बच्चे अपनी जड़ों को समझते हैं, तो उनमें आत्मविश्वास और सांस्कृतिक चेतना मजबूत होती है।

पुस्तक पढ़ने की आदत पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा, “एआई कितनी भी उन्नत क्यों न हो जाए, पुस्तकों को रिप्लेस करने का कोई अवसर नहीं है। पुस्तकें केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि सोचने, समझने और सीखने की एक गहरी प्रक्रिया हैं।”

मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने घरों, विद्यालयों और समुदायों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दें तथा साहित्य और लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भाषा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अनेक नई पहलें प्रारंभ कर रही है और आगे भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्थानीय बोली-भाषाओं, साहित्य और पारंपरिक बोलियों के डिजिटलाइजेशन पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी सहित सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सांस्कृतिक खजाना सुरक्षित रहे और नई पीढ़ी आसानी से इन तक पहुँच सके। डिजिटल माध्यमों पर सामग्री उपलब्ध होने से हमारी मातृभाषाएं न केवल संरक्षित होंगी, बल्कि आधुनिक समय के अनुरूप और अधिक सशक्त रूप में आगे बढ़ेंगी।

कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक बृज भूषण गैरोला, पत्रकार, साहित्यकार एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

Point of View

जो राज्य के राजनीतिक इतिहास को संकलित करता है। मुख्यमंत्री की बातें न केवल किताबों के महत्व को उजागर करती हैं, बल्कि स्थानीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण का भी आह्वान करती हैं। यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय हित में है, जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

पुस्तक 'उत्तराखंड राज्य का नवीन राजनीतिक इतिहास' किसने लिखी है?
यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार और लेखक जय सिंह रावत द्वारा लिखी गई है।
मुख्यमंत्री ने पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में क्या कहा?
मुख्यमंत्री ने किताबों के महत्व पर जोर दिया और कहा कि एआई तकनीक के युग में भी किताबों का कोई विकल्प नहीं है।
इस पुस्तक का उद्देश्य क्या है?
यह पुस्तक उत्तराखंड राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक विकास का प्रामाणिक दस्तावेज़ीकरण करती है।
क्या मुख्यमंत्री ने स्थानीय भाषाओं को सुरक्षित रखने की बात की?
हाँ, मुख्यमंत्री ने सभी क्षेत्रीय भाषाओं को सुरक्षित रखने का सामूहिक दायित्व बताया।
पुस्तक का विमोचन कब हुआ?
पुस्तक का विमोचन 22 नवंबर को देहरादून में हुआ।
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