क्या कोलकाता गैंगरेप केस के बाद यूनियन रूम को बंद करना चाहिए?

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क्या कोलकाता गैंगरेप केस के बाद यूनियन रूम को बंद करना चाहिए?

सारांश

कोलकाता गैंगरेप केस पर भाजपा नेता दिलीप घोष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सवाल उठाया है कि जब यूनियन चुनाव नहीं होते तो यूनियन रूम क्यों खुला है? इस पर उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की राजनीति और धर्म का उपयोग करने पर भी टिप्पणी की। जानिए उनकी पूरी बात।

Key Takeaways

  • दिलीप घोष ने यूनियन रूम को बंद करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • कोलकाता गैंगरेप केस ने सुरक्षा के मुद्दों को उजागर किया।
  • राजनीति में धर्म का उपयोग संवेदनशील है।
  • भाजपा बंगाली संस्कृति की रक्षा के लिए खड़ी है।
  • विपक्ष की भूमिका पर सवाल उठाए गए।

कोलकाता, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व सांसद और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल की राजनीति, विपक्ष की भूमिका और राष्ट्रीय घटनाओं पर अपने विचार साझा किए। कोलकाता गैंगरेप केस के संदर्भ में उन्होंने कहा, "हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज में यूनियन रूम नहीं होना चाहिए, इसे टीएमसी पार्टी का ऑफिस बना देना चाहिए।"

कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ हुई बलात्कार की घटना के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी किया है। कोर्ट ने छात्र संघ चुनाव होने तक कॉलेज और यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के कमरों को बंद रखने का निर्देश दिया है।

इस पर दिलीप घोष ने कहा, "जब चुनाव नहीं होते, तो यूनियन रूम क्यों खुला है? वहाँ इस प्रकार के दुष्कर्म के लिए? हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज में यूनियन रूम नहीं होना चाहिए, उसे टीएमसी पार्टी का ऑफिस बना देना चाहिए।"

उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब यूनियन नहीं है, तो ऑफिस क्यों बनाया गया है? पहले इसे ताला लगाना चाहिए। जब तक यह खुलेगा, तब तक ऐसी घटनाएँ होती रहेंगी।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक सावित्री मित्रा के 'इस्लाम हमारा पसंदीदा धर्म है' वाले बयान पर दिलीप घोष ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि किसी नेता को ऐसा कहने से पहले यह सोचना चाहिए कि वे किस समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। धर्म का उपयोग राजनीति में वोट बैंक के लिए नहीं होना चाहिए।

राजनीतिक माहौल में शमिक सुकांत्र का 'जय मांकाली' नारा देकर चुनाव मैदान में उतरना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इस पर उन्होंने कहा कि भाजपा हमेशा बंगाली संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए खड़ी रही है। हम 'जय मांकाली' और 'जय श्रीराम' जैसे नारों में विश्वास करते हैं, इसे बोलने में कोई आपत्ति नहीं है।

जब राहुल गांधी के विपक्ष के नेता के रूप में एक वर्ष पूरा होने पर उनसे उनकी किसी एक उपलब्धि के बारे में पूछा गया, तो दिलीप घोष ने कटाक्ष करते हुए कहा, "लोगों को तो यह भी याद नहीं कि वे नेता प्रतिपक्ष हैं, उपलब्धि तो बहुत दूर की बात है।" उन्होंने कहा, "उल्टा-सीधा बोलना छोड़कर कुछ नहीं करते वे।"

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और इसे सहेजने की आवश्यकता है।
NationPress
19/07/2025

Frequently Asked Questions

दिलीप घोष का यूनियन रूम को लेकर क्या कहना है?
दिलीप घोष ने कहा कि जब यूनियन चुनाव नहीं होते, तो यूनियन रूम क्यों खुला है?
कोलकाता गैंगरेप केस पर कोर्ट का क्या आदेश है?
कोर्ट ने छात्र संघ चुनाव होने तक कॉलेज और यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के कमरों को बंद रखने का आदेश दिया है।