क्या कसबा गैंगरेप केस में पीड़िता की पहचान उजागर करना अपराध है?

सारांश
Key Takeaways
- पीड़िता की पहचान को सुरक्षित रखना हमारा नैतिक दायित्व है।
- कोलकाता पुलिस ने मामले में सख्त कदम उठाए हैं।
- राजनीतिक बयानबाजी इस संवेदनशील मामले को और बढ़ा रही है।
कोलकाता, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कोलकाता के लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ हुई गैंगरेप की घटना ने लोगों में गहरी नाराजगी उत्पन्न की है। पश्चिम बंगाल की राजधानी में इस घटना का व्यापक असर देखा गया है। इस बीच, गैंगरेप की घटना पर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। इस मामले में कोलकाता पुलिस ने पीड़िता की पहचान को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं।
कोलकाता पुलिस ने सोशल मीडिया के माध्यम से चेतावनी जारी की है कि यदि कोई व्यक्ति पीड़िता की पहचान का खुलासा करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, "यह जानकारी मिली है कि कुछ लोग गोपनीय दस्तावेजों का प्रसार करते हुए या अन्य तरीकों से कसबा मामले में पीड़िता की पहचान का खुलासा करने का प्रयास कर रहे हैं। यह कानून का गंभीर उल्लंघन है। ऐसे कार्यों में शामिल पाए जाने पर संबंधित प्रावधानों के तहत सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे ऐसी कोई जानकारी साझा न करें जिससे पीड़िता की पहचान उजागर हो सके। पीड़ितों की गरिमा और गोपनीयता का सम्मान करना कानूनी दायित्व और नैतिक अनिवार्यता है।
कोलकाता के लॉ कॉलेज की एक छात्रा ने तीन छात्रों पर गैंगरेप का आरोप लगाया है। इनमें से एक मुख्य आरोपी को पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी की छात्र इकाई का सदस्य बताया जा रहा है। हालांकि, पुलिस ने इस गैंगरेप केस में तीन आरोपी छात्रों और कॉलेज में तैनात सुरक्षा गार्ड को भी गिरफ्तार किया है। फिलहाल, गैंगरेप केस के आरोपियों मोनोजीत मिश्रा, जैब अहमद और प्रमित की पुलिस रिमांड मंगलवार को समाप्त हो रही है। तीनों को 1 जुलाई तक पुलिस हिरासत में रखा गया था।
इस मामले पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के बीच भाजपा ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक पोस्ट में लिखा, "प्रियंका और राहुल गांधी को महिलाओं की सुरक्षा की कोई परवाह नहीं है। उनके लिए 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' एक खोखला नारा है।"