क्या कोलकाता गैंगरेप को 'छोटी घटना' बताना टीएमसी नेता का अपमान है?

सारांश
Key Takeaways
- टीएमसी नेताओं के विवादास्पद बयान
- भाजपा की कड़ी प्रतिक्रिया
- महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर चिंताएं
- राजनीतिक लाभ के लिए बयानों का उपयोग
- कांग्रेस की आलोचना
नई दिल्ली, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कोलकाता गैंगरेप मामले को लेकर टीएमसी नेताओं द्वारा बार-बार विवादास्पद टिप्पणियां की जा रही हैं, जो रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के बाद मानस भुनिया ने इस गैंगरेप को 'छोटी घटना' बताया। इस बयान पर भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना की और कहा कि ममता सरकार के एक मंत्री ने बंगाल की बेटियों का अपमान किया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने बुधवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "बंगाल में बेटियों के खिलाफ अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इस जघन्य घटना को 'छोटी घटना' बताकर ममता सरकार के एक मंत्री ने बंगाल और भारत की बेटियों का अपमान किया है। इस प्रकार के बयानों से ममता सरकार की बेटियों की सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता स्पष्ट हो गई है।" उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ पहले से चार एफआईआर दर्ज थीं, फिर भी उसे कॉलेज में नौकरी दी गई। यह एक सोची-समझी साजिश है। ममता सरकार अब अपराधियों की संरक्षक बन गई है। इस मामले में आरोपी के अलावा कॉलेज के प्रबंधक की भी जांच होनी चाहिए। बंगाल की जनता इस लूटेरी और अपराधी सरकार को कठोर सजा देगी।
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के ‘आरएसएस’ पर टिप्पणी को लेकर तरुण चुघ ने कहा, "कांग्रेस के नेता तानाशाही सोच से प्रभावित हैं। इसलिए वे प्रतिबंध, आपातकाल, और लोकतंत्र पर हमलों की बातें करते हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस में एक नया फैशन शुरू किया है।"
उन्होंने आगे कहा, "आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी संगठनों पर प्रतिबंध की बात करना कांग्रेस की राष्ट्रविरोधी मानसिकता का प्रमाण है। आरएसएस ने समाज को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और सेवा का पर्याय बन गया है।"
तरुण चुघ ने केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा, "पीएम मोदी की नेतृत्व में सरकार की प्रोत्साहन योजना युवाओं के लिए आशा की नई किरण है। यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर भविष्य की बुनियाद है।"