क्या कोलकाता में बीएलओ का प्रदर्शन चुनाव आयोग के बाहर है?
सारांश
Key Takeaways
- बीएलओ मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
- प्रदर्शन में सिर्फ चार बीएलओ शामिल हुए, बाकी काम में लगे हैं।
- प्रशासन स्थिति पर नज़र रखे हुए है।
कोलकाता, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बीएलओ ने मंगलवार को मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। एसआईआर वर्कलोड को लेकर लंबे समय से नाराज बीएलओ ने कहा कि उन पर असहनीय दबाव डाला जा रहा है, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
प्रदर्शनकारी बीएलओ ने स्पष्ट किया कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने आए थे, लेकिन उन्हें रोक दिया गया और जबरन बसों में भरकर हटा दिया गया। इस दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया।
एक बीएलओ प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम शांति से प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारे पीछे बीएलओ राइट्स प्रोटेक्शन कमेटी के बैनर तले मंच तैयार किया गया है। हम चुनाव आयोग के पास इसलिए आए हैं ताकि हमें कुछ राहत मिल सके। बीएलओ पर भारी दबाव है, उनकी मानसिक स्थिति गंभीर है। कई लोग बीमार हो गए हैं और दुख की बात यह है कि कुछ साथियों की मृत्यु भी हो चुकी है।"
उन्होंने आगे कहा कि एसआईआर के दौरान रोज़ १० से १२ घंटे काम करना पड़ता है, जबकि फील्ड वेरिफिकेशन के लिए पर्याप्त समय, साधन और सुरक्षा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उनका सवाल है कि क्या लोकतंत्र को मजबूत बनाने वालों के साथ ऐसा व्यवहार उचित है?
वहीं, भाजपा नेता साजल घोष ने इस प्रदर्शन को गलत बताते हुए कहा कि यह असली बीएलओ द्वारा नहीं किया जा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शन में बहुत कम संख्या में लोग आए और बाकी बीएलओ अपने काम में व्यस्त हैं।
सजल घोष ने कहा, "बीएलओ कहां हैं? हमें बताइए, असली बीएलओ कौन हैं? ८४,००० बीएलओ में से सिर्फ चार लोग आए थे। बाकी सब काम कर रहे हैं और लगभग ७० प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है। पहले राउंड, जिसे ४ दिसंबर तक पूरा होना था, वह २५ या २६ नवंबर तक ही पूरा हो जाएगा।"
उन्होंने तंज करते हुए कहा कि प्रदर्शन करने वाले सभी टीएमसी के हॉकर हैं। इन लोगों को यह भी नहीं पता होगा कि एसआईआर क्या है।
फिलहाल, विरोध कर रहे बीएलओ ने घोषणा की है कि जब तक उन्हें समाधान नहीं मिलता, वे संघर्ष जारी रखेंगे। वहीं प्रशासन स्थिति पर नज़र रखे हुए है।