क्या किसानों की नाराजगी जंगली सूअर की समस्या को हल कर सकेगी? कोयंबटूर में विशेष टीम का गठन
सारांश
Key Takeaways
- किसानों की नई टीम जंगली सूअरों से निपटने के लिए गठित की गई है।
- जंगली सूअरों के हमलों से फसल को भारी नुकसान हो रहा है।
- सरकार के आदेशों का सही अनुपालन नहीं हो रहा है।
- किसान वन विभाग की कार्रवाई से निराश हैं।
- किसान जंगली सूअरों को मारने की अनुमति की मांग कर रहे हैं।
चेन्नई, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तमिलागा विवसायिगल संगम से जुड़े किसानों ने घोषणा की है कि वे तमिलनाडु के कोयंबटूर क्षेत्र में खेतों में घुसने वाले जंगली सूअरों को पकड़ने और मारने के लिए एक विशेष दल बनाएंगे। किसानों का कहना है कि वन विभाग से कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
हाल ही में पेरूर के करादिमादाई में हुई एक बैठक में किसानों ने यह प्रस्ताव पास किया कि 15 अनुभवी किसानों की एक टीम बनाई जाएगी, जो खेती वाले इलाकों में घुसने वाले जंगली सूअरों को पकड़ने का कार्य शुरू करेगी।
किसानों का कहना है कि जंगली सूअरों के लगातार हमलों से उनकी फसल को भारी नुकसान हो रहा है और इस कारण आर्थिक संकट बढ़ रहा है। किसानों ने राज्य सरकार के जनवरी 2025 में जारी किए गए रेगुलेटेड कलिंग ऑर्डर की ओर इशारा किया, लेकिन किसानों के अनुसार यह आदेश जमीन पर सही तरह लागू नहीं हुआ है।
सरकार के आदेश में कहा गया है कि जंगल की सीमा से एक किलोमीटर के भीतर जंगली सूअरों को मारना पूरी तरह से मना है। एक से तीन किलोमीटर के बीच उन्हें पकड़कर छोड़ने की अनुमति है। तीन किलोमीटर से अधिक दूरी पर प्रशिक्षित वनकर्मी को नियंत्रित शिकार की अनुमति है।
तमिलागा विवसायिगल संगम के अध्यक्ष टी. वेणुगोपाल ने कहा कि ये नियम किसानों के लिए व्यवहारिक नहीं हैं, क्योंकि सूअर सीधे उनके खेतों में घुसते हैं। उन्होंने कहा, “हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि खेतों में घुसने वाले जंगली सूअरों को बिना किसी रोकटोक मारा जा सके। आदेश को आए 11 महीने हो गए, लेकिन वन विभाग की कार्रवाई बहुत कम है।”
वेणुगोपाल ने कहा कि किसानों की यह नई टीम बढ़ते खतरे को रोकने के लिए बनाई जा रही है। उन्होंने कहा, “टीम में पंद्रह प्रशिक्षित और अनुभवी किसान शामिल होंगे, और वे फसल को नुकसान से बचाने के लिए खेतों में घुसने वाले जंगली सूअरों को पकड़ना शुरू करेंगे।”
हालांकि, जिला वन अधिकारी (डीएफओ) एन. जयाराज ने कहा कि किसानों को सूअरों को मारने का कानूनी अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि तीन किलोमीटर से अधिक दूरी पर केवल वन विभाग के कर्मचारी ही जंगली सूअरों का नियंत्रित शिकार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “नियमों के अनुसार किसान जंगली सूअरों को मार नहीं सकते। हमारे कर्मचारी तय दूरी के बाहर घुसने वाले सूअरों को मारने के लिए प्रशिक्षित हैं।”
डीएफओ ने यह भी जानकारी दी कि विभाग अब तक मदुक्कराई वन क्षेत्र में दो जंगली सूअरों को मार चुका है और आदेश लागू होने के बाद से 50 से अधिक सूअरों को पकड़ चुका है। वन विभाग का कहना है कि कार्रवाई जारी है, लेकिन किसानों का कहना है कि बिगड़ती स्थिति को ठीक करने के लिए यह कदम काफी नहीं है।