क्या कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से संवाद में किसानों ने कहा- इस राष्ट्र की आत्मा हैं अन्नदाता?

सारांश
Key Takeaways
- कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के साथ संवाद किया।
- नकली बीज बेचने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का आह्वान किया।
- किसानों ने प्रधानमंत्री की घोषणाओं की सराहना की।
- किसान आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
- स्वदेशी का संकल्प हमारे विकास का आधार है।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पूसा परिसर में मंगलवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के साथ एक महत्वपूर्ण चर्चा की। इस अवसर पर उन्होंने नकली बीज बेचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया और किसान हितैषी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की बात की।
संवाद के दौरान एक किसान प्रतिनिधि ने कहा, "भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। प्रधानमंत्री की यह घोषणा न केवल करोड़ों अन्नदाताओं को संजीवनी प्रदान करती है, बल्कि कृषि और ग्रामीण भारत की आत्मनिर्भरता को भी मजबूत बनाती है।"
केंद्रीय कृषि मंत्री से संवाद में एक अन्य किसान प्रतिनिधि ने कहा, "भारतीय किसान केवल अन्नदाता नहीं हैं, बल्कि इस राष्ट्र की आत्मा हैं। इस आत्मा पर किसी विदेशी का कब्जा नहीं हो सकता। मैं केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नकली खाद, बीज, और कीटनाशक के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिए दिल से धन्यवाद करता हूं।"
किसान संवाद कार्यक्रम में किसान किरपा सिंह नत्थूवाला ने कहा, "हम बहुत चिंतित थे कि अमेरिका समझौते का दबाव डाल रहा है। अगर समझौता होता, तो किसान बर्बाद हो जाते, लेकिन प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री ने किसानों के हित में कठोर निर्णय लिया, जिससे किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा है।"
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कार्यक्रम से संबंधित एक वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया।
उन्होंने एक्स पर लिखा, "आज पूसा परिसर, नई दिल्ली में अपने अन्नदाता भाइयों-बहनों से संवाद का अवसर मिला। मेरे घर और दिल के दरवाजे हमेशा अपने किसान साथियों के लिए खुले हैं। हमारे किसान आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं। 'स्वदेशी' का संकल्प इन्हीं की समृद्धि और भारत की प्रगति का संकल्प है। आइए, स्वदेशी अपनाएं, अपने देश का मान बढ़ाएं और किसानों के परिश्रम को प्रणाम करें।"