क्या कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण से किसानों का जीवन सुधरेगा योगी सरकार के तहत?

सारांश
Key Takeaways
- कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण किसानों के लिए नए अवसर प्रदान करता है।
- केंद्र सरकार की योजनाएँ उत्तर प्रदेश के लिए फायदेमंद हैं।
- उत्पादन में वृद्धि से कृषि निर्यात में सुधार हो रहा है।
- योगी सरकार ने किसानों के हित में कई कदम उठाए हैं।
- एक जिला-एक उत्पाद योजना से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
लखनऊ, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। "रेडी टू ईट" के बढ़ते चलन के साथ कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण की संभावनाएँ भी तेजी से बढ़ रही हैं। केंद्र सरकार खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसका सबसे अधिक लाभ कृषि प्रधान उत्तर प्रदेश को मिल रहा है। एक आंकड़े के अनुसार, देश के कृषि निर्यात में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है। वर्ष 2019-20 में यह आंकड़ा 35 अरब डॉलर था, जो 2024-25 में बढ़कर 51 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
इस निर्यात में सबसे अधिक हिस्सेदारी फलों और सब्जियों की है। इसे और बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने एक ठोस रणनीति बनाई है। इस योजना के तहत लगभग दो दर्जन उत्पादों और उनके लिए सक्षम बाजारों का चयन किया गया है। निर्यात की लागत को कम करने के लिए समुद्री मार्ग का उपयोग किया जाएगा।
इस योजना का उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक लाभ मिल सकता है, क्योंकि राज्य आलू, गन्ना, गेहूं, आम और कई सब्जियों के उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। यहाँ उत्पादन बढ़ने की संभावनाएँ भी हैं, क्योंकि यहाँ की जनसंख्या का लगभग 56 प्रतिशत युवा है। कृषि भूमि का अधिकांश भाग सिंचित है। नौ प्रकार की कृषि जलवायु (एग्रो क्लाइमेट जोन) यहाँ खेती के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती हैं। इसी कारण से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर कहते हैं कि उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की अनुकंपा है।
उत्तर प्रदेश में एक फूड बास्केट बनने की संभावना है। परंपरा और आधुनिकता के संगम से राज्य का कृषि उत्पादन चार गुना तक बढ़ने की क्षमता रखता है। साल 2017 में योगी सरकार के गठन के बाद से, किसानों के हित में उठाए गए कदमों से कृषि उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। कृषि की प्रगति के साथ राज्य का विकास भी हो रहा है।
कुछ महीने पहले, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने उत्तर प्रदेश की आर्थिक प्रगति की सराहना की और कुछ सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विकसित भारत का ग्रोथ इंजन बन सकता है। उन्होंने 'एक जिला-एक उत्पाद' (ओडीओपी) को और प्रभावी बनाने के लिए बाजार की मांग के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करने और जिलों को आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाने की सलाह दी।
योगी सरकार पहले से ही इन सुझावों पर कार्य कर रही है। ओडीओपी के कई उत्पादों (जैसे काला नमक धान, केला, गुड़, आंवला, आम, अमरूद आदि) की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकार कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) स्थापित कर रही है। डिस्ट्रिक्ट एक्शन प्लान भी तैयार हो चुका है। फलों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हर जिले में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जा रहे हैं। इजरायल और डेनमार्क की मदद से विशेष औद्यानिक फसलों के लिए भी ऐसे सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, योगी सरकार हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी बनाने की भी योजना बना रही है।