क्या कृष्णा हेगड़े ने उद्धव ठाकरे से पूछा, सीपी राधाकृष्णन का समर्थन करेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया है।
- कृष्णा हेगड़े ने उद्धव ठाकरे से राधाकृष्णन के समर्थन की अपील की है।
- उत्तराखंड सरकार ने मदरसा बोर्ड को समाप्त करने का निर्णय लिया है।
- चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
- विपक्ष की गतिविधियों पर सख्त नजर रखी जा रही है।
मुंबई, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार घोषित किया है। एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना ने राधाकृष्णन की उम्मीदवारी पर उद्धव ठाकरे से सवाल उठाया है।
शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हमारे पास बहुमत है और सीपी राधाकृष्णन जीतने वाले हैं। लेकिन, यदि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के नेता होकर भी राज्यपाल का समर्थन नहीं करेंगे तो यह गलत संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन के चुनाव का समर्थन उद्धव ठाकरे को करना चाहिए और मुझे विश्वास है कि वे भी समर्थन करेंगे। राधाकृष्णन एक अनुभवी और सशक्त नेता हैं, जिनके अनुभव से देश को लाभ होगा। हमें पूरा भरोसा है कि वे जीतेंगे और उपराष्ट्रपति के पद को गरिमा और जिम्मेदारी के साथ निभाएंगे।
कृष्णा हेगड़े ने चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता के संदर्भ में कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश्वर कुमार ने राहुल गांधी को सात दिनों में एफिडेविट देने को कहा है, अन्यथा कड़ी कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और उस पर 'वोट चोरी' जैसे शब्दों का प्रयोग करना असंवैधानिक और अपमानजनक है। इसी बीच बिहार में वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन(एसआईआर) प्रक्रिया पर विपक्ष द्वारा किए जा रहे हंगामे का मामला भी जुड़ा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या तोड़फोड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। विपक्ष कानून का उल्लंघन कर रहा है, इन पर शिकंजा कसा जाएगा।
उत्तराखंड सरकार जल्द ही मदरसा बोर्ड को खत्म करने जा रही है। कृष्णा हेगड़े ने इस फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार मदरसा बोर्ड को खत्म करने का निर्णय लिया गया और उसकी जगह अल्पसंख्यक आयोग बनाया गया है। इस नए आयोग में मुसलमानों के साथ-साथ सिख, बौद्ध, जैन आदि समुदायों को भी शामिल किया गया है। आयोग में सभी अल्पसंख्यकों की भाषा, धार्मिक ग्रंथ और परंपराओं को सिखाने की व्यवस्था होगी। जैसे सिखों के लिए गुरुवाणी, बौद्धों के लिए उनके शास्त्र और जैनों के संस्कार पढ़ाए जाएंगे। हेगड़े ने कहा कि यह कदम सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए संतुलित और लाभकारी सिद्ध होगा।