क्या हरियाणा में कुरुक्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव धार्मिक सीमाओं से परे है?
सारांश
Key Takeaways
- अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्घाटन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ।
- विदेश मंत्री ने इसे धार्मिक सीमाओं से परे बताया।
- मंत्रालय ने विदेशी विद्वानों को आमंत्रित किया है।
- प्रदर्शनी में गीता के २५ अनुवादित संस्करण शामिल हैं।
- यह महोत्सव सांस्कृतिक समागम के साथ-साथ शेयरिंग वैल्यूज का भी आह्वान करता है।
नई दिल्ली, २४ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव’ का उद्घाटन हुआ है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस महोत्सव को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि यह पवित्र ग्रंथ धार्मिक सीमाओं से परे है। यह धार्मिक जीवन, आंतरिक शक्ति और आध्यात्मिक स्पष्टता का एक सार्वभौमिक मार्गदर्शक है। इसकी शिक्षाएं विभिन्न पीढ़ियों और भौगोलिक क्षेत्रों के मन को प्रकाशित करती हैं, और बदलती दुनिया में मार्गदर्शन और ज्ञान प्रदान करती हैं।
उन्होंने आगे बताया कि इस वर्ष, विदेश मंत्रालय इस महोत्सव का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के लिए हरियाणा सरकार, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, मध्य प्रदेश राज्य और कई अन्य संगठनों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। इस वैश्विक प्रयास में मंत्रालय ने विभिन्न महाद्वीपों में गीता की गूंज को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विदेश मंत्री ने कहा कि विदेश स्थित मिशनों के सहयोग से मंत्रालय ने प्रतिष्ठित विदेशी विद्वानों की पहचान की है, जो इस आध्यात्मिक संवाद में विविध दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए इस समारोह में भाग लेंगे। भगवद् गीता के २५ से अधिक अनुवादित संस्करण प्रदर्शनी के लिए एकत्र किए गए हैं, जो विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं में इसकी पहुंच को प्रदर्शित करते हैं। ५० से अधिक मिशन और केंद्र दुनिया भर में समानांतर कार्यक्रम और प्रदर्शनियां आयोजित कर रहे हैं, जो गीता के सार्वभौमिक संदेश और आध्यात्मिक गहराई की पुष्टि करते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनों, प्रवचनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से, मंत्रालय भगवान कृष्ण की शाश्वत शिक्षाओं और उनकी परिवर्तनकारी शक्ति को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। यह वैश्विक उत्सव केवल एक सांस्कृतिक समागम नहीं है; यह साझा मूल्यों की पुनः पुष्टि और साहस एवं करुणा के साथ जीने का आह्वान है।
उन्होंने कहा कि सीमाओं के पार समुदायों को एक साथ लाकर, मंत्रालय गीता की सद्भावना और लचीलेपन की भावना को मूर्त रूप देने का प्रयास करता है। गीता की शिक्षाएं मानवता को एक अधिक शांतिपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण और प्रबुद्ध विश्व की ओर मार्गदर्शन करती रहें।