क्या सोमवार को 30 लाख किसानों के खातों में 3,200 करोड़ रुपये की पहली किश्त जमा होगी? : शिवराज सिंह चौहान

सारांश
Key Takeaways
- केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का राजस्थान दौरा और 30 लाख किसानों को सहायता
- 3,200 करोड़ रुपये का डिजिटल भुगतान का महत्व
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रभाव
- किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सहायता
- भविष्य में और अधिक क्लेम की प्रक्रिया
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार को अपने एक दिवसीय राजस्थान दौरे के दौरान झुंझुनू में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस समारोह में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत कई राज्यों के लगभग 30 लाख किसानों को 3,200 करोड़ रुपये की फसल बीमा राशि का डिजिटल भुगतान किया जाएगा। इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी उपस्थित रहेंगे, और कई राज्यों के लाखों किसान वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम से जुड़ेंगे।
इस भुगतान के अंतर्गत मध्य प्रदेश के किसानों को 1,156 करोड़ रुपये, राजस्थान के किसानों को 1,121 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ के किसानों को 150 करोड़ रुपये और अन्य राज्यों के किसानों को 773 करोड़ रुपये का क्लेम वितरित किया जाएगा। यह राशि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी और खेती में अनिश्चितताओं का सामना करने का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
शिवराज सिंह चौहान ने अपने वीडियो संदेश में कहा, "प्रिय किसान भाइयों और बहनों, रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज 30 लाख किसानों के खातों में 3,200 करोड़ रुपये की पहली किश्त जमा की जा रही है। प्राकृतिक आपदा में फसल नष्ट होने से न केवल फसल बर्बाद होती है, बल्कि किसान का जीवन भी प्रभावित होता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ऐसी परिस्थितियों में किसानों के लिए वरदान साबित हुई है।"
उन्होंने आगे बताया कि जनवरी से जून 2025 तक फसलों को हुए नुकसान के लिए 11,000 करोड़ रुपये के क्लेम स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से शेष 8,000 करोड़ रुपये की राशि बाद में किसानों के खातों में जमा की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जिन किसानों को अभी राशि नहीं मिली, उन्हें निराश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनका भुगतान भी समय पर होगा।
शिवराज सिंह चौहान ने योजना की पारदर्शिता और तकनीकी उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि यदि बीमा कंपनियां निर्धारित समय में क्लेम का भुगतान नहीं करतीं, तो उन्हें 12 फीसद ब्याज के साथ राशि जमा करनी होगी। इसी तरह, यदि राज्य सरकारें अपना अंश समय पर जमा नहीं करतीं, तो उन्हें भी 12 फीसद ब्याज देना होगा, जो सीधे किसानों के खातों में जाएगा।
किसानों से अपील करते हुए उन्होंने कहा, "यदि आपको फसल बीमा योजना से संबंधित कोई शिकायत है, तो मुझे जरूर सूचित करें। हम हमेशा आपके साथ खड़े हैं।"