क्या आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय है? : मदन कौशिक

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय है।
- मूल अधिकारों का निलंबन हुआ था।
- लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग रहना आवश्यक है।
- मानवाधिकारों का हनन हुआ था।
- प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला गया था।
पौड़ी, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में आपातकाल के 50 वर्षों की समाप्ति को ध्यान में रखते हुए "संविधान हत्या दिवस" के रूप में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 25 जून 1975 को लागू किए गए आपातकाल की घटनाओं को पुनः स्मरण किया गया और एक डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया, जिसमें उस युग की त्रासदी और लोकतंत्र पर इसके प्रभाव को दर्शाया गया।
कार्यक्रम में प्रदर्शित डॉक्यूमेंट्री ने आपातकाल के दौरान देश में हुए मानवाधिकार हनन, प्रेस की सेंसरशिप और नागरिक स्वतंत्रता पर लगे अंकुश जैसे मुद्दों को प्रभावी ढंग से उजागर किया।
इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्थानीय नेतृत्व द्वारा किया गया, जिसमें हरिद्वार विधायक, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री मदान कौशिक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत पौड़ी पहुंचे मदन कौशिक के भव्य स्वागत से हुई। उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कौशिक ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया।
उन्होंने कहा, "25 जून 1975 को देश में आपातकाल लागू किया गया, जिसके दौरान संविधान को ताक पर रखकर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कुचला गया। प्रेस की स्वतंत्रता छीन ली गई, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया और विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया। यह केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक चरित्र पर गहरा आघात था।"
मदन कौशिक ने उस युग की घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे तत्कालीन सरकार ने अपने राजनीतिक हितों के लिए संवैधानिक मूल्यों को तार-तार किया। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे लोकतंत्र की कीमत को समझें और इसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहें। हमें संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति सजग रहने के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए।
वहीं, जिलाध्यक्ष कमल किशोर ने कहा कि 26 जून को भाजपा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में हमारे सभी गणमान्य नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। यह सच्चाई है कि आपातकाल लोकतंत्र पर काला धब्बा था। हमारे मुख्य अतिथि मदन कौशिक ने आपातकाल की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया और लोगों को इस दौर की भयावहता से अवगत कराया। यह कार्यक्रम न केवल अतीत की गलतियों से सबक लेने का अवसर है, बल्कि भविष्य में लोकतंत्र को और सशक्त बनाने का संदेश भी देता है।