क्या छत्तीसगढ़ में 66 नक्सलियों का आत्मसमर्पण सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम है?

सारांश
Key Takeaways
- 66 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
- मुख्यमंत्री ने इसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बताया।
- आत्मसमर्पण में महिलाओं का भी महत्वपूर्ण हिस्सा था।
- पुनर्वास नीति के तहत 1,570 माओवादी कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण किया है।
- बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य में परिवर्तन आ रहा है।
रायपुर/बस्तर, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में ६६ उग्रवादी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जो राज्य में वामपंथी उग्रवाद को एक बड़ा झटका देने वाला साबित हुआ है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे सुरक्षा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण कदम बताया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों में ४९ उग्रवादी शामिल हैं, जिन पर कुल २.२७ करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। इसमें लंबे समय से सक्रिय उच्च पदस्थ नेता भी शामिल थे।
इनमें सबसे प्रमुख रमन्ना इरपा उर्फ जगदीश है, जो विशेष क्षेत्रीय समिति का सदस्य था और जिस पर २५ लाख रुपए का इनाम था।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर बताया कि यह सामूहिक आत्मसमर्पण पांच जिलों में हुआ, जिसमें बीजापुर से २५, दंतेवाड़ा से १५, कांकेर से १३, नारायणपुर से ८ और सुकमा से ५ उग्रवादियों ने औपचारिक रूप से हिंसा का त्याग किया और लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति निष्ठा की शपथ ली।
समूह में महिला उग्रवादियों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिनमें से कुछ दो दशकों से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय थीं।
मुख्यमंत्री ने इस घटनाक्रम को छत्तीसगढ़ के सुरक्षा परिदृश्य, विशेषकर बस्तर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया।
उन्होंने कहा कि राज्य की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के प्रभाव में पिछले १८ महीनों में १,५७० माओवादी कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने इसे शासन, बुनियादी ढांचे की पहुंच और जन कल्याणकारी कार्यों की प्रभावशीलता का प्रमाण बताया।
उन्होंने 'डबल इंजन सरकार' के माध्यम से इस परिवर्तन को संभव बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को श्रेय दिया।
पुनर्वास प्रयासों के केंद्र में 'पूना मारगेम' अभियान है, जिसका अर्थ है पुनर्वास के माध्यम से पुनरुत्थान, जो आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों को वित्तीय सहायता, व्यावसायिक सहायता और पुनः एकीकरण के अवसर प्रदान करता है।
दंतेवाड़ा में गुरुवार को १६ नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें पांच इनामी कार्यकर्ता और बुधराम उर्फ लालू कुहारम और कमली उर्फ मोती पोतावी नामक एक जोड़ा शामिल है।
दंतेवाड़ा के सहायक पुलिस अधीक्षक (अभियान) उदित पुष्कर ने कहा, "८ लाख रुपए का इनामी डिवीजनल कमेटी सदस्य बुधराम २०१३ और २०१८ में हुई बड़ी घात-प्रतिघात घटनाओं में शामिल था। कमली ने इरपानार, गोबेल-भाटबेड़ा और थुलथुली वन क्षेत्रों में मुठभेड़ों में भाग लिया था और उस पर ५ लाख रुपए का इनाम घोषित था। अन्य अपराधियों में २ लाख रुपए का इनामी पोज्जा उर्फ पोडिया मड़कम और १ लाख रुपए की इनामी महिला कार्यकर्ता आयते उर्फ संगीता सोडी और पांडे माडवी शामिल थीं। आत्मसमर्पण करने वाले कई कार्यकर्ता पहले भी बंद के दौरान सड़क जाम, वनों की कटाई और दुष्प्रचार जैसी तोड़फोड़ की गतिविधियों में शामिल रहे हैं।