क्या मेघालय भारत की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है? - सीएम कॉनराड संगमा
सारांश
Key Takeaways
- मेघालय की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।
- त्रि हिल्स एन्सेम्बल सांस्कृतिक पहचान का जश्न मनाता है।
- सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना आवश्यक है।
- मुख्यमंत्री ने अनुसंधान और दस्तावेजीकरण का समर्थन किया।
- युवाओं में गर्व और एकता की भावना पैदा करने के लिए नाटक की प्रोत्साहना की गई।
गुवाहाटी, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने बुधवार को शिलांग के वार्ड्स लेक में त्रि हिल्स एन्सेम्बल के चौथे संस्करण का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मेघालय में आर्थिक विकास तेज़ी से हो रहा है और यह तमिलनाडु के बाद देश की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
यह महोत्सव खासी, जयंतिया और गारो समुदायों की शिल्प, संस्कृति और व्यंजनों का सम्मान करता है।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कला एवं संस्कृति विभाग की सराहना की और कहा कि इस महोत्सव के माध्यम से हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं और अपनी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दुनिया के सामने लाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि हमारे लोगों की पहचान और विरासत का सम्मान और संरक्षण हो।
संगमा ने कहा कि मेघालय लगातार आर्थिक प्रगति कर रहा है और यह महत्वपूर्ण है कि सांस्कृतिक पहचान विकास के केंद्र में बनी रहे।
उन्होंने त्रि हिल्स एन्सेम्बल के महत्व पर बल देते हुए कहा कि इस वर्ष का विषय 'नदियां, जड़ें और पुनरुद्धार' खोई हुई परंपराओं की पुनर्खेज को दर्शाता है। इसमें डॉकी और अन्य क्षेत्रों में आयोजित होने वाली रोइंग और बोटिंग प्रतियोगिताएं भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने जनजातीय इतिहास, भाषाओं, रीति-रिवाजों और नृत्य शैलियों का दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि गारो संस्कृति में वांगाला के लिए कई ढोल की थापें और कदम हैं जिन्हें पहचानना केवल ढोल वादक ही जानते हैं, लेकिन इसका कोई दस्तावेजीकरण नहीं है। संगमा ने अनुसंधान अनुदान जैसी पहलों के माध्यम से और अनुसंधान करने का आग्रह किया।
सीएम संगमा ने स्कूलों को मेघालय के नायकों, जैसे तिरोट सिंग, कियांग नोंग्बाह और पा तोगन सांगमा के बारे में नाटक करने के लिए भी प्रोत्साहित किया, ताकि युवाओं में गर्व और एकता की भावना पैदा हो सके।
उन्होंने सभी प्रतिभागियों और पुरस्कार विजेताओं को शुभकामनाएं देते हुए सशक्त सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आशा व्यक्त की।
इस बीच, कला एवं संस्कृति मंत्री सैनबोर शुल्लाई ने कहा कि यह महोत्सव खासी, जयंतिया और गारो लोगों की चिरस्थायी विरासत का सम्मान करता है, और उनकी संस्कृति, भाषा, संगीत, व्यंजन और शिल्प कौशल का जश्न मनाता है।
उन्होंने कहा कि मेघालय कला और विरासत पुरस्कार उन सभी उस्तादों और नवोन्मेषकों को सम्मानित करते हैं जो पहचान को संरक्षित कर रहे हैं।
पारंपरिक नौका दौड़ के पुनरुद्धार पर चर्चा करते हुए उन्होंने इसे एक ऐसी विरासत की ओर लौटने के रूप में वर्णित किया जो संस्कृति को जीवित रखने के सामूहिक प्रयास में सभी को एक साथ लाती है।