क्या आपातकाल वास्तव में देश के लिए काला दिन था? : नायब सिंह सैनी

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल को देश के लिए काला दिन माना जाता है।
- महिलाओं ने लोकतंत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- नायब सिंह सैनी ने महिलाओं के योगदान की सराहना की।
- भारत विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
- आपातकाल का समय राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से भरा था।
गुरुग्राम, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शनिवार को गुरुग्राम में आयोजित महिला मॉक संसद में भाग लिया। यह कार्यक्रम आपातकाल के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल देश के लिए "काला दिन" था।
नायब सिंह सैनी ने यह भी कहा कि आपातकाल के दौरान महिलाओं ने लोकतंत्र की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अत्याचारों का साहसिकता से सामना किया। महिलाओं के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया और लोकतंत्र की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। हरियाणा भी इस दिशा में अपना अद्वितीय योगदान दे रहा है।
सीएम नायब सिंह सैनी ने बताया, "आपातकाल का समय हमारे इतिहास का एक काला अध्याय है। भीमराव अंबेडकर और संविधान समिति ने देश को संविधान प्रदान किया था। आजादी के बाद से देश संविधान के अनुसार चल रहा था। 25 जून 1975 को देश में कोई भूचाल नहीं आया था, लेकिन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए संविधान का उल्लंघन किया गया।"
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कभी भी न्यायालय के आदेशों का सम्मान नहीं किया। कांग्रेस ने संवैधानिक पदों का भी सम्मान नहीं किया और लोकतंत्र का उल्लंघन किया।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जो "युवराज" संविधान को लेकर जनसभाओं में जा रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। ये लोग शीशे में अपना चेहरा देखते हैं और शीशे को दोष देते हैं, जबकि असली समस्या उनके चेहरे में है।