क्या अदाणी समूह को निशाना बनाना भारत के खिलाफ एक साजिश है? : ईशकरण सिंह भंडारी
सारांश
Key Takeaways
- अदाणी समूह को विदेशी मीडिया द्वारा लगातार निशाना बनाया जा रहा है।
- सुप्रीम कोर्ट की जांच में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के संदिग्ध तथ्य नहीं मिले।
- यह साजिश भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए की जा रही है।
- एलआईसी हमेशा से भारतीय कंपनियों में निवेश करती रही है।
- भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ईशकरण सिंह भंडारी ने कहा है कि अदाणी ग्रुप से संबंधित विदेशी मीडिया की रिपोर्ट भारत के विकास एवं निजी औद्योगिक प्रगति को बाधित करने की एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। अदाणी समूह को पिछले कई वर्षों से लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यह वही कंपनियां हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे पोर्ट, एयरपोर्ट और एनर्जी सेक्टर में कार्यरत हैं। विदेशी कंपनियों को नहीं चाहिए कि भारतीय कंपनियां इन क्षेत्रों में मजबूती से आगे बढ़ें और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएं।
उन्होंने याद दिलाया कि इससे पहले भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के माध्यम से अदाणी समूह को निशाना बनाया गया था, जिसकी जांच भी सुप्रीम कोर्ट ने करवाई, लेकिन उस जांच में कुछ भी संदिग्ध नहीं पाया गया। जांच कमेटी भी गठित की गई थी, फिर भी कोई ठोस तथ्य सामने नहीं आया।
ईशकरण सिंह ने कहा कि यह साजिश लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जार्ज सोरोस जैसे लोग खुद कहते हैं कि अगर अदाणी समूह पर सवाल उठेंगे, तो भारत में राजनीतिक दबाव बढ़ेगा। हम ऐसे लोगों की बातें सुनते हैं जो भारत में नहीं रहते, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने हिंडनबर्ग जैसी रिपोर्टों को 'कूड़ेदान में फेंकने योग्य' बताया और कहा कि इन्हें संसद सत्रों या चुनावी बहस में शामिल करना 'भारत विरोधी मंशा' का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, ''अगर एक अमेरिकी कंपनी मुंबई एयरपोर्ट में निवेश कर मुनाफा कमा सकती है, तो एलआईसी अदाणी पोर्ट में निवेश क्यों नहीं कर सकती? इसमें कोई विवाद नहीं है, यह पूरी तरह से एक झूठी साजिश है। निवेश के लिए कई चरणों से गुजरना पड़ता है। यह बात एलआईसी को भी पता है। एलआईसी हमेशा से भारतीय कंपनियों में निवेश करती रही है और यह एक सामान्य प्रक्रिया है। विदेशी बैंक और संस्थान भी भारतीय कंपनियों में निवेश करते हैं। फिर एलआईसी के निवेश पर सवाल क्यों?''
उन्होंने कहा कि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अगर किसी का मकसद एलआईसी का लाभ रोकना नहीं, बल्कि उसे कमजोर करना है, तो वे ऐसे मुद्दे बार-बार उठाते रहेंगे। लेकिन इन झूठी रिपोर्टों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है। देश के औद्योगिक विकास और निजी निवेशकों के प्रति विश्वास को कमजोर करने के लिए कुछ विदेशी एजेंडा आधारित रिपोर्टें सामने लाई जाती हैं, जिन्हें भारतीय जनता और संसद को नकार देना चाहिए।