क्या भारत एआई क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे प्रतिस्पर्धी देश बना?

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क्या भारत एआई क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे प्रतिस्पर्धी देश बना?

सारांश

भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में तीसरे स्थान पर पहुंचकर वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में एक नया मानक स्थापित किया है। यह रैंकिंग, भारत के तेज़ी से विकसित होते तकनीकी क्षेत्र और कुशल मानव संसाधनों की ताकत को उजागर करती है। जानिए इस रिपोर्ट के प्रमुख पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • भारत ने एआई में तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
  • अमेरिका और चीन पहले दो स्थानों पर हैं।
  • रिपोर्ट में अनुसंधान, विकास और प्रतिभा का मूल्यांकन किया गया है।
  • भारत की तकनीकी युवा शक्ति इसे आगे बढ़ा रही है।
  • भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ा है।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में दुनिया में तीसरे सबसे मजबूत और प्रतिस्पर्धी देश बनने का स्थान हासिल किया है। यह जानकारी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की ग्लोबल एआई वाइब्रेंसी टूल रिपोर्ट में दी गई है। इस रैंकिंग से स्पष्ट होता है कि भारत का तेजी से बढ़ता टेक्नोलॉजी क्षेत्र और यहां के कुशल लोग, दुनिया की एआई विकास यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका एआई के मामले में पहले स्थान पर है, जिसका स्कोर 78.6 है। चीन दूसरे स्थान पर है और उसका स्कोर 36.95 है। वहीं, भारत ने तीसरे स्थान पर 21.59 के स्कोर के साथ अपनी जगह बनाई है। इस लिस्ट में भारत ने दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, सिंगापुर, जापान, कनाडा, जर्मनी और फ्रांस जैसे विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया है।

स्टैनफोर्ड की यह एआई रैंकिंग कई पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई जाती है, जिसमें शोध और विकास, प्रतिभाशाली लोगों की उपलब्धता, निवेश, अर्थव्यवस्था पर असर, तकनीकी ढांचा, सरकार की नीतियां और लोगों की राय शामिल हैं। इसका उद्देश्य यह प्रदर्शित करना है कि किस देश में एआई तकनीक कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है और सरकारें इसे कितना समर्थन दे रही हैं।

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि किसी देश की आमदनी का स्तर एआई में उसकी ताकत को प्रभावित करता है। हाई इनकम वाले देश इस लिस्ट में आगे हैं, जबकि चीन और ब्राजील जैसे अपर-मिडिल-इनकम वाले देश भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। भारत इस संदर्भ में खास है, क्योंकि यह कम आमदनी वाले देशों में होते हुए भी इस लिस्ट में बहुत ऊंचे स्थान पर है, जो इसकी अलग पहचान को दर्शाता है।

अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग देश अग्रणी हैं। अमेरिका शोध व विकास, नीति और शासन, अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जिम्मेदार एआई के मामलों में सबसे आगे है। चीन प्रतिभा, अर्थव्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, जबकि भारत प्रतिभा के मामले में टॉप तीन देशों में शामिल है, क्योंकि यहां बड़ी संख्या में कुशल इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में एक व्यापक चिंता भी जताई गई है कि अगर सभी देशों को एआई के विकास के समान अवसर नहीं मिले, तो असमानता बढ़ सकती है। लेकिन, भारत के लिए यह रैंकिंग एक बड़ी उपलब्धि है। यह दर्शाता है कि देश में एआई में निवेश बढ़ रहा है, शोध का स्तर बेहतर हो रहा है, स्टार्टअप्स तेजी से बढ़ रहे हैं और भारत के पास बड़ी संख्या में कुशल तकनीकी युवा मौजूद हैं।

Point of View

जो दर्शाता है कि हमारा देश वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं है। एआई में निवेश और अनुसंधान की दिशा में उठाए गए कदमों ने हमें इस मुकाम तक पहुंचाया है। आगे बढ़ते रहने के लिए हमें समान अवसरों का ध्यान रखना होगा।
NationPress
14/12/2025

Frequently Asked Questions

भारत को एआई में तीसरा स्थान क्यों मिला?
भारत का तेजी से बढ़ता तकनीकी क्षेत्र, कुशल युवा और बढ़ते निवेश के कारण इसे एआई में तीसरा स्थान मिला।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में क्या महत्वपूर्ण बातें हैं?
इस रिपोर्ट में शोध, विकास, प्रतिभा, निवेश और सरकारी नीतियों का मूल्यांकन किया गया है।
क्या भारत एआई में विकसित देशों से आगे है?
हां, भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
भारत की एआई स्थिति का भविष्य क्या है?
अगर भारत में समान विकास के अवसर मिले, तो एआई में इसकी स्थिति और मजबूत हो सकती है।
क्या एआई में भारत की बढ़ती ताकत वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण है?
जी हां, भारत की बढ़ती एआई ताकत वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
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