क्या ऐतिहासिक श्रम सुधार से आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी मजबूत गति?
सारांश
Key Takeaways
- लेबर कोड श्रमिकों के हितों को प्राथमिकता देता है।
- महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति।
- सामाजिक सुरक्षा का विस्तार किया जाएगा।
- गिग वर्कर्स को नए अधिकार मिलेंगे।
- स्वास्थ्य जांच अनिवार्य की गई है।
नई दिल्ली, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को नए लेबर कोड के बारे में कहा कि ये ऐतिहासिक श्रम सुधार आत्मनिर्भर भारत को एक नई ताकत देंगे।
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने एक लेख में लिखा, "21 नवंबर 2025 को मोदी सरकार ने 4 नई श्रम संहिताओं को लागू किया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में ये सुधार हमारी श्रम शक्ति के अधिकारों को मजबूत करते हुए एक विकसित भारत की ठोस नींव तैयार करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा कि इन सुधारों के परिणामस्वरूप कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलेगा, साथ ही श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य स्थल प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को अधिक अधिकार और नारी शक्ति के लाभ भी सुनिश्चित किए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री मांडविया ने अपने लेख में बताया कि नए लेबर कोड एक आधुनिक श्रम ढांचा स्थापित करते हैं, जो श्रमिकों के हित में और विकास को बढ़ावा देने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि श्रमिकों और उद्योग जगत के दिग्गजों के साथ संवाद में यह सामने आया कि वर्कप्लेस पर स्पष्टता, निष्पक्षता और सम्मान की आवश्यकता श्रम संहिता के मूल में होनी चाहिए, और यही मार्गदर्शक सिद्धांत नए सुधारों को आकार देता है। लेबर कोड नियोक्ताओं की अपेक्षाओं को संतुलित करते हुए श्रमिकों के हितों को प्राथमिकता देता है।
मांडविया ने यह भी स्पष्ट किया कि नए नियमों के अंतर्गत महिलाएं अंडरग्राउंड खदानों, भारी मशीनरी और नाइट शिफ्ट में काम कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए उनकी सहमति और मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होगी।
उन्होंने जानकारी दी कि नए लेबर कोड अखिल भारतीय ईएसआइसी कवरेज को सक्षम बनाते हैं और 40 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी श्रमिकों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य करते हैं, जिसमें ऐसे बागान श्रमिक भी शामिल हैं जो पहले इसके दायरे में नहीं आते थे।
लेबर कोड के लाए जाने की आवश्यकता पर उन्होंने कहा कि भारत के अधिकांश श्रम कानून 1920 से 1950 के बीच बने थे, जिनमें औपनिवेशिक सोच की झलक थी। आज की दुनिया में काम करने के तरीके में भारी बदलाव आ चुका है। गिग और प्लेटफार्म आर्थिकी, डिजिटल कामकाज, लचीली कार्य संरचनाएं और नए प्रकार के उद्यम तेजी से उभर रहे हैं, इसलिए नए लेबर कोड लाए गए हैं।