क्या बहू-बेटी का सम्मान नहीं करने वाले राज्य सेवा की बात कर सकते हैं? : उमेश सिंह कुशवाहा
सारांश
Key Takeaways
- राजनीति में पारिवारिक सम्मान का महत्व है।
- जनादेश जनता की अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- विकास और सुशासन के लिए जनता ने एनडीए का समर्थन किया।
- नीतीश कुमार की 20 वर्षों की मेहनत का परिणाम चुनाव परिणाम है।
- राजद की सीटों में कमी विपक्ष की स्थिति को दर्शाती है।
पटना, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल (यूनाइटेड) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने राजद के प्रमुख लालू यादव के घर में हाल ही में हुए पारिवारिक विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग राज्य की सेवा करने का दावा कर रहे हैं, वे अपने घर पर बहू-बेटी का सम्मान नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले उसी घर से एक बहू रोते हुए बाहर आई थी। हालांकि, यह उनका पारिवारिक मामला है। हम तो यही चाहेंगे कि परिवार में एकता बनी रहे।
इसके अलावा, बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों पर उन्होंने कहा कि जनता ने जो जनादेश दिया है, मतदाताओं ने जिस तरह से एनडीए के पक्ष में मतदान किया और विकास और सुशासन को समर्थन दिया, उसके लिए हम आभारी हैं।
उन्होंने कहा कि जो जनादेश प्राप्त हुआ है और जनता की जो अपेक्षाएँ हैं, उस पर आने वाली सरकार खरा उतरेगी। उन्होंने कहा कि यह चुनाव परिणाम नीतीश कुमार के 20 वर्षों की मेहनत का नतीजा है। सरकार के सुशासन, विकास, दृष्टि और कार्यों पर जनता ने अपनी मुहर लगाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी को लोगों ने पसंद किया है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस विधानसभा चुनाव में बिहार की 243 सीटों में से भाजपा ने 89 सीटों पर जीत हासिल की। दूसरे स्थान पर नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) 85 सीटों के साथ है। वहीं, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (आर) ने भी 29 सीटों में से 19 पर जीत दर्ज की, जो एनडीए में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी।
एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को चार सीटों पर जीत मिली है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 25 सीटें मिलीं।