क्या भारत का हाइड्रोजन युग अब शुरू हो गया है? केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का बयान

सारांश
Key Takeaways
- भारत का हाइड्रोजन युग औपचारिक रूप से शुरू हो चुका है।
- 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन लक्ष्य है।
- हरित हाइड्रोजन की कीमतों में कमी से आयात निर्भरता घटेगी।
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का बजट 600 करोड़ रुपए है।
- इस क्षेत्र में 6,00,000 रोजगार सृजित होने की संभावना है।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को घोषणा की कि भारत का हाइड्रोजन युग अब शुरू हो चुका है। देश का उद्देश्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, जो वैश्विक बाजार में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करेगा।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने आगे कहा कि हरित हाइड्रोजन की कीमत वर्तमान में 3.5 डॉलर प्रति किलोग्राम से घटकर 3 डॉलर प्रति किलोग्राम से भी नीचे आने की संभावना है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "यदि कीमतें कम होती हैं, तो भारत बड़े पैमाने पर हरित हाइड्रोजन को अपनाने में सक्षम होगा, जिससे अंततः हमारी आयात निर्भरता में कमी आएगी। पीएम मोदी के नेतृत्व में, भारत एक विश्वसनीय हाइड्रोजन हब का निर्माण कर रहा है, जो विकास, निर्यात और एक स्वच्छ भविष्य को बढ़ावा देगा।"
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, यदि कीमत 2.5 डॉलर प्रति किलोग्राम होती है, तो भारत 150 अरब डॉलर के ऊर्जा आयात की भरपाई कर सकेगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि लगभग 1 (एमटीपीए) हरित हाइड्रोजन क्षमता का लक्ष्य रखा गया है, जिसकी शुरुआत 42 केटीपीए टेंडर से होगी और इसे बाद में बढ़ाकर 170 केटीपीए करने की योजना है।
पायलट चरण में 9 ईंधन भरने के स्टेशनों के साथ 37 हाइड्रोजन वाहनों को लॉन्च किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि 19 कंपनियों को लगभग 9 लाख टन प्रति वर्ष (टीपीए) क्षमता के ठेके दिए गए हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जनवरी 2023 को 19,744 करोड़ रुपए के बजट के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी।
इस मिशन का उद्देश्य 2030 तक हरित हाइड्रोजन के 5 एमएमटी प्रति वर्ष उत्पादन का लक्ष्य लेकर भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव्स के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक हब बनाना है।
मिशन के अंतर्गत निर्यात और घरेलू उपयोग के माध्यम से मांग सृजन को बढ़ावा देना, स्टील, मोबिलिटी, शिपिंग, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा का उपयोग, बायोमास से हाइड्रोजन उत्पादन, हाइड्रोजन भंडारण आदि के लिए पायलट परियोजनाएं, ग्रीन हाइड्रोजन हब का विकास, और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए समर्थन शामिल हैं।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में विभिन्न मदों में 600 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।
2030 तक अपेक्षित हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता से इस उद्योग में कुल निवेश 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने की संभावना है। इस निवेश से 2030 तक 6,00,000 रोजगार सृजित होने का अनुमान है।