क्या बिहार को बीड़ी से जोड़ना सही है? एनडीए नेताओं की नाराजगी

सारांश
Key Takeaways
- बिहार का अपमान अस्वीकार्य है।
- कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठे हैं।
- राजनीतिक दलों को एकजुट होकर इस पर विचार करना चाहिए।
- बिहार का गौरव और पहचान को महत्व देना चाहिए।
- सोशल मीडिया पर दी गई टिप्पणियों का प्रभावी जवाब देना आवश्यक है।
पटना, ५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल कांग्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए एक पोस्ट में बिहार की बीड़ी के साथ तुलना करने पर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया है। इस विवाद पर एनडीए में शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है। बिहारियों के इस अपमान का जवाब पूरा देश देगा। बिहार मां भारती के संतानों की गौरव का प्रतीक रहा है। लोगों को यह ज्ञान नहीं है कि बिहार ने अखंड भारत का निर्माण किया है, यह ज्ञान-विज्ञान की भूमि है और यह कई धर्मों की उत्पत्ति का स्थल है। बिहार पर सवाल उठाकर वे पूरे देश पर सवाल उठा रहे हैं। ऐसे लोग देशद्रोही हैं और सजा के हकदार हैं।"
लोजपा (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि केरल कांग्रेस ने बिहारियों की तुलना बीड़ी से की और बाद में उस पोस्ट को हटा दिया, जो कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है। यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस ने बिहारियों का अपमान किया है।
भाजपा के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि कांग्रेस को बिहार के लोगों से घृणा है। बिहार को बीड़ी कहा, है ना? बीड़ी जलती है और जब जलती है तो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाती है।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बिहार का अपमान महागठबंधन के लिए राजनीतिक स्वाभिमान बन गया है। बिहार बुद्धिमान है, बुद्ध का है, सीता का है। तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि क्या बिहार बीड़ी का पर्याय है? जनता ईवीएम से बताएगी कि बिहार आत्मसम्मान से जीता है।