क्या छह माह पहले बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन होना चाहिए था? : अब्दुल बारी सिद्दीकी

सारांश
Key Takeaways
- वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन में समय पर कार्रवाई की जरूरत है।
- प्रक्रिया से गरीब और प्रवासी श्रमिकों को परेशानी हो सकती है।
- राजद ने इसे वोटबंदी करार दिया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को संवैधानिक माना है।
- सभी नागरिकों को अपने मतदान अधिकार का उपयोग करने का अवसर मिलना चाहिए।
नई दिल्ली, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के संदर्भ में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने दोहराया है कि बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन का कार्य छह माह पहले किया जाना चाहिए था। चुनाव में अब कम वक्त बचा है, ऐसे में वोटर वेरिफिकेशन कराने का उद्देश्य क्या है, यह समझ से परे है।
वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन के मामले में इंडी अलायंस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 10 जुलाई को कोर्ट ने इस संबंध में सुनवाई की और प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाने से मना कर दिया। कोर्ट ने इसे चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी माना है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अब्दुल बारी सिद्दीकी ने शनिवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि संविधान स्पष्ट रूप से भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार देता है। उन्होंने प्रक्रिया की समयसीमा पर सवाल उठाया, खासकर यह देखते हुए कि यह विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू की गई है, जिससे गरीब और प्रवासी श्रमिकों को दस्तावेज जमा करने में कठिनाई हो सकती है।
सिद्दीकी ने सुझाव दिया कि ऐसी प्रक्रिया कम से कम छह महीने पहले शुरू होनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई सरकार की जिम्मेदारी है, न कि चुनाव आयोग की। उनका मुख्य कार्य निष्पक्ष चुनाव कराना और योग्य मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करना है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया को “वोटबंदी” करार देते हुए इसे अल्पसंख्यक और कमजोर वर्गों के मतदाताओं को सूची से हटाने की साजिश बताया है।
सीट बंटवारे पर उन्होंने कहा कि बैठक चल रही है और इसमें कोई दिक्कत नहीं है।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के मंच पर पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की एंट्री नहीं होने पर उन्होंने कहा कि भाजपा को इससे कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। कार्यक्रम पहले से निर्धारित होता है कि कौन मंच पर जाएगा और कौन नहीं। इसमें हमारे नेता शामिल नहीं हुए। भाजपा को अपने घर की चिंता करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद बिहार में वोटर लिस्ट का वेरिफिकेशन कार्य जारी रहेगा। हालांकि, कोर्ट ने दस्तावेजों के मामले में कुछ बिंदुओं पर आयोग को सलाह भी दी है।