क्या भाजपा सरकार में प्रदेश की बिजली व्यवस्था चरमरा गई है?

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा सरकार की बिजली व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं।
- बिजली उत्पादन में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
- किसानों को बिजली की कमी से दिक्कतें आ रही हैं।
- अघोषित कटौती से शहरों और गांवों में परेशानी बढ़ी है।
- सरकार की नीतियों पर गंभीर विचार करने की आवश्यकता है।
लखनऊ, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के शासन में यह व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है।
अखिलेश यादव ने सोमवार को एक बयान में कहा कि भाजपा ने अपने नौ साल के कार्यकाल में बिजली के मामले में सुधार के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझकर बिजली व्यवस्था को खराब होने दिया है, ताकि इसके बाद निजीकरण का रास्ता साफ हो सके।
अखिलेश ने आगे कहा कि भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। आज जो बिजली मिल रही है, वह सपा सरकार के समय में स्थापित बिजलीघरों से ही है।
उन्होंने बताया कि यूपी में बिजली की कमी बहुत बड़ी है। शहरों में बड़े स्तर पर अघोषित कटौती हो रही है और छोटे नगरों और गांवों की स्थिति भी बहुत खराब है। किसानों को धान की रोपाई और अन्य कार्यों के लिए पानी की आवश्यकता है, लेकिन बिजली की कमी के कारण ये कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में बिजली की दुर्दशा को लेकर सवाल उठते रहते हैं, लेकिन सरकार व्यवस्था सुधारने की बजाय निजीकरण पर जोर दे रही है। बिजली मंत्री के कार्यक्रम के दौरान मुरादाबाद में बिजली कटने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की बिजली स्थिति की हकीकत अब खुद मंत्री को भी समझ में आ गई है। उन्होंने कहा कि अनेक लोग बिना बिजली के जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं, और यह सरकार हर क्षेत्र में विफल हो रही है।