क्या 'वोट चोरी' बंद होने पर हम चोर कहना बंद कर देंगे? : पवन खेड़ा

सारांश
Key Takeaways
- वोटर अधिकार यात्रा का आरंभ हुआ है।
- चुनाव आयोग पर पारदर्शिता का आरोप।
- महादेवपुरा के वोटों का हिसाब नहीं दिया गया।
- राजद का कहना है कि यह प्रक्रिया वोट की डकैती को प्रमाणित करती है।
- दिग्विजय सिंह ने मतदाता सूची की सॉफ्ट कॉपी की मांग की।
सासाराम, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में एसआईआर के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 'वोटर अधिकार यात्रा' का शुभारंभ किया। इस यात्रा में शामिल कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला किया।
पवन खेड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चोरी करना पाप नहीं है, लेकिन किसी को चोर कहना पाप है? चोरी बंद करो, और हम चोर कहना बंद कर देंगे। महादेवपुरा के एक लाख वोटों का हिसाब किसी ने क्यों नहीं दिया? अनुराग ठाकुर छह विधानसभा क्षेत्रों की डिजिटल मतदाता सूची लेकर घूम रहे हैं, उन्हें यह जानकारी कहाँ से मिली? क्या यह निजता का उल्लंघन नहीं है? क्या चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया? नहीं। लेकिन, जब सीसीटीवी फुटेज की बात आती है, तो आप कहते हैं कि यह निजता का उल्लंघन है।
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया शुरू से ही सवालों के घेरे में है। हमने बार-बार कहा है कि यह प्रक्रिया वोट की डकैती को प्रमाणित करती है। जो मतदाता जिंदा हैं, उन्हें मरा दिखाया गया। ऐसे लोगों को न्यायालय के सामने पेश करना चाहिए। चुनाव आयोग की साख गिर गई है। आज चुनाव आयोग ने प्रेस वार्ता की। इससे पहले चुनाव आयोग प्रतिपक्ष के सवालों से क्यों बच रहा था। हमने बूथवार हिसाब मांगा है, आप दे दो।
पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि चुनाव आयोग को संविधान या बाबा साहेब के विचारों की कोई समझ नहीं है। अब चोरी-डकैती करने के बाद क्या वे संविधान की बात करेंगे? संविधान से देश चलेगा या भाजपा और आरएसएस के पाठ से चलेगा। भाजपा जो पत्र चुनाव आयोग को देती है, वही वह प्रवक्ता की तरह कह देती है।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है, लेकिन उसे राहुल गांधी और विपक्षी दलों के सवालों का जवाब देना चाहिए। हमारी सीधी मांग है कि हमें देश की मतदाता सूची की सॉफ्ट कॉपी दी जाए ताकि हम सत्यापित कर सकें कि किसी व्यक्ति का नाम कई बार या अलग-अलग पहचान के साथ दर्ज तो नहीं है।"