क्या सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव-राज ठाकरे पर तंज कसा?

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव और राज ठाकरे का एक मंच पर आना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है।
- मुख्यमंत्री फडणवीस ने रैली को 'रोने का कार्यक्रम' कहा।
- भाईचारे के संबंध में नए समीकरण सामने आए हैं।
- रैली में मराठी संस्कृति के संरक्षण की बात की गई।
- भाजपा पर आलोचना की गई और सत्ता से बाहर करने की बात की गई।
पंढरपुर, 5 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र की राजनीति में लगभग 20 वर्षों के बाद, दो राजनीतिक भाई एक मंच पर आए। शनिवार को शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) द्वारा आयोजित 'विजय रैली' में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक-दूसरे का स्वागत किया और गले मिले। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे "रोने का कार्यक्रम" करार दिया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "मैं पहले राज ठाकरे का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने दोनों भाइयों के एक साथ आने का श्रेय मुझे दिया। मुझे बाला साहेब ठाकरे का आशीर्वाद मिलेगा। मुझे लगा था कि यह विजय रैली होगी, लेकिन यह तो रोने का कार्यक्रम था। उन्होंने मराठी मुद्दे पर कुछ नहीं कहा और हमारी सरकार गिराने का आरोप लगाया। हमें सत्ता दीजिए, यह रोने का कार्यक्रम था।"
फडणवीस ने कहा कि 25 वर्षों तक उनके पास बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) थी, लेकिन कोई विकास नहीं हुआ। हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुंबई का चेहरा बदला। उन्होंने केवल मुंबई से मराठी लोगों को बाहर करने का काम किया, जबकि हमें अपने मराठी होने पर गर्व है। हमारा हिंदुत्व सबको साथ लेकर चलने का है।
इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे के साथ मंच साझा करते हुए कहा कि वे मराठी भाषा, मराठी मानुष और महाराष्ट्र के संरक्षण के लिए एकजुट हैं। उन्होंने कहा, "बाला साहेब ठाकरे के महाराष्ट्र के सपने को पूरा करने के लिए हम भविष्य में भी साथ रहेंगे। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपने सहयोगियों का इस्तेमाल केवल अपने फायदे के लिए करती है। अब हम दोनों भाई मिलकर भाजपा को सत्ता से बाहर करेंगे।"
उन्होंने कहा, "हमने न तो हिंदुत्व छोड़ा है और न ही मराठी गौरव के लिए लड़ने का संकल्प। हिंदुत्व किसी एक भाषा का एकाधिकार नहीं है। हम, जो शुद्ध मराठी बोलते हैं, आपसे ज्यादा देशभक्त हिंदू हैं।"