क्या हमें एसआईआर की प्रक्रिया से आपत्ति है? : दिग्विजय सिंह
सारांश
Key Takeaways
- दिग्विजय सिंह ने एसआईआर के तहत खामियों की ओर इशारा किया।
- उन्होंने सीएए के प्रभाव पर चिंता जताई।
- मतदाता सूची में विसंगतियों की जांच की जाएगी।
- सत्तारूढ़ दल से खुली चर्चा की अपेक्षा है।
- 68 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए हैं।
भोपाल, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोमवार को बताया कि क्यों उनकी पार्टी और विपक्ष के अन्य नेता मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध कर रहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमें मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से कोई समस्या नहीं है। यह देश में पहले भी हो चुका है, लेकिन इस बार जिस प्रक्रिया के तहत एसआईआर किया जा रहा है, वह गलत है। 2003 में एसआईआर के तहत बीएलओ आते थे और सभी मतदाताओं का नाम पंजीकृत करते थे। बीएलओ सभी मतदाताओं के बारे में जानकारी इकट्ठा करते थे और खुद ही फॉर्म भरते थे। इस बार स्थिति बहुत अलग है। इस बार बीएलओ लोगों को फॉर्म दे रहे हैं और उनसे भारत के नागरिक होने का प्रमाण मांग रहे हैं। इसी कारण हमें एसआईआर की प्रक्रिया से आपत्ति है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया जा रहा है। यदि आपको असली नागरिक की पहचान करनी है, तो इसके लिए सीधे सीएए लागू करें। एसआईआर के माध्यम से इसे क्यों करा रहे हैं? ऐसी स्थिति को भारतीय राजनीति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम इस पर आपत्ति जता रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एसआईआर के तहत कई खामियां हैं। हाल ही में मैं भोपाल के एक कार्यालय में गया था जहां 30 मतदाताओं के नाम थे। मैंने उनसे पूछा कि आपका वोट कहां है? उन्होंने कहा कि हमारे वोट भोपाल के मोहल्ले में हैं। जब मैंने पूछा कि इस सूची में आपका नाम नहीं है, तो उन्होंने कहा कि हमारा नाम सूची में नहीं है। हमने 30 लोगों के नाम छांटे और बीएलओ से पूछा कि क्या सूची ठीक है? उन्होंने कहा हां, सूची ठीक है। लेकिन घर में दो परिवार रहने वाले थे, और केवल एक लड़का वहां था। हमने इस विसंगति को पकड़ लिया और तय किया कि जिस बीएलओ और अधिकारी ने यह सूची बनाई है, उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत करेंगे। यदि संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई तो हम कोर्ट जाएंगे।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि यदि किसी घर में 10 से अधिक मतदाता हैं, तो असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर को वहां जाकर जांच करनी चाहिए। वहां 30 लोग रह रहे थे, लेकिन असिस्टेंट ऑफिसर ने जांच करने की जरूरत नहीं समझी। बीएलओ पर एक सुपरवाइजर होता है, लेकिन दोनों नए बीएलओ आने के बाद भी पुराने असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर ने कोई कार्यवाही नहीं की। हमने उनसे फोन पर बात की, लेकिन उन्होंने कहा कि वे पटवारी से बात करेंगे। हमने कहा कि इस मामले में पटवारी का कोई लेना-देना नहीं है। यह केवल एक उदाहरण है जो दिखाता है कि एसआईआर में गड़बड़ी हो रही है।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। किसी भी पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी चर्चा से बच रही है। एसआईआर के तहत 68 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। अब केंद्र सरकार से मेरा यही सवाल है कि आप इन लोगों को कब घुसपैठिए घोषित करेंगे?