क्या जन धन योजना से भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है? अब तक जमा हुए 2.6 लाख करोड़ रुपए

सारांश
Key Takeaways
- जन धन योजना ने ५५.९० करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया है।
- जनधन खातों में २.६ लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा है।
- महिलाओं की हिस्सेदारी ५६ प्रतिशत है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में ६६.६ प्रतिशत खाते खोले गए हैं।
- इस योजना का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है।
नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को भारत के दूसरे सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं। उनकी प्रमुख योजनाओं में से एक जन धन योजना है, जिसने देश के गरीब परिवारों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना की वेबसाइट के अनुसार, इस योजना से अब तक ५५.९० करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया जा चुका है और जनधन खातों में २,६३,९५४.९८ करोड़ रुपए की राशि जमा है।
जन धन खातों ने व्यापक रूप से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है और महिलाओं को भी शक्ति प्रदान की है।
इन खातों में महिलाओं की हिस्सेदारी ५६ प्रतिशत है, जो कि इस बात को प्रमाणित करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा था, "प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) का शुभारंभ भारत के वित्तीय समावेशन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। जन धन योजना-आधार-मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी ने सभी वयस्कों के लिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने में बड़ी मदद की है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बन गया है।"
वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि जेएएम ट्रिनिटी ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) कार्यक्रम को प्रोत्साहित किया है। मनरेगा वेतन से लेकर उज्ज्वला योजना सब्सिडी और कोविड के दौरान आम लोगों को धन उपलब्ध कराने तक, इस योजना ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
बयान में आगे कहा गया कि आज, सभी गांवों में ९९.९५ प्रतिशत लोगों को बैंकिंग टचपॉइंट्स (बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) और भारतीय डाक भुगतान बैंकों सहित) के माध्यम से ५ किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, प्रधानमंत्री जन धन योजना दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है और चालू वर्ष के लिए ऐसे ३ करोड़ और खाते खोलने का लक्ष्य रखा गया है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च २०१५ में प्रति खाता औसत बैंक बैलेंस १,०६५ रुपए था, जो अब बढ़कर ४,३५२ रुपए हो गया है। लगभग ८० प्रतिशत खाते सक्रिय हैं।
६६.६ प्रतिशत जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं और २९.५६ करोड़ खाते महिला खाताधारकों के हैं।
जब मोदी सरकार ११ साल पहले पहली बार सत्ता में आई थी, तो उसने प्रत्येक नागरिक को वित्तीय और बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था।
इसके लिए २८ अगस्त २०१४ को ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ लॉन्च की गई थी, जिसमें शून्य बैलेंस वाले खाते खोलकर बड़ी संख्या में गरीब लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा गया था।