क्या जनता अब तक भाजपा का असली चेहरा पहचानने में असफल है? मंत्री एम. सी. सुधाकर
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा का स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं है।
- महात्मा गांधी का नाम हटाने का निर्णय राजनीतिक प्रतिशोध दर्शाता है।
- मनरेगा योजना में फंड में कमी आई है।
- ग्रामीन अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने वाली योजनाओं की आवश्यकता है।
- इतिहास को नहीं बदला जा सकता।
बेलगावी, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के मंत्री एम. सी. सुधाकर का मानना है कि लोग अभी तक भाजपा की सच्चाई को सही से नहीं समझ पाएं हैं। उनके अनुसार, भाजपा और उसकी विचारधारा का स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं था। लोगों को उन संघर्षों का अहसास नहीं है जिनसे देश गुजरा है, और न ही वे लाखों लोगों के बलिदान की कदर करते हैं।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भाजपा से जुड़े लोग या तो चुप थे या फिर ब्रिटिश सरकार के साथ थे। आज वही लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं। वे महात्मा गांधी का नाम लेते हैं, लेकिन उनके विचारों का सम्मान नहीं करते। उनकी विचारधारा गांधी जी से पूरी तरह भिन्न है। मैं नाथूराम गोडसे पर फिर से चर्चा नहीं करना चाहता, लेकिन यह साफ है कि भाजपा में गांधी जी के प्रति कोई सच्चा आदर नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं गुजरात से आते हैं, जो महात्मा गांधी की जन्मभूमि है। इसके बावजूद, गांधी जी के नाम का उपयोग केवल दिखावे के लिए किया जा रहा है, जैसे कि यह साबित करना हो कि गांधी गुजरात से थे। सुधाकर ने कहा कि यह रवैया बदले की भावना को दर्शाता है और सरकार को महात्मा गांधी का नाम हटाने पर शर्म आनी चाहिए। इतिहास को बदला नहीं जा सकता और गांधी जी हमेशा के लिए जीवित रहेंगे, केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में।
मनरेगा योजना पर चर्चा करते हुए, सुधाकर ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अच्छे इरादे से शुरू की गई थी। पिछले 17-18 वर्षों में इस योजना पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। गांवों में रोजगार मिला, भूमि से संबंधित काम हुए, भूजल रिचार्ज हुआ और पुरानी संरचनाओं का पुनर्निर्माण हुआ।
सुधाकर का आरोप है कि 2014 के बाद से हर साल इस योजना के लिए फंड कम किया गया है। अब सरकार कहती है कि 60 प्रतिशत खर्च केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य सरकार उठाएं, जबकि पहले यह पूरी तरह से केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजना थी। उनका कहना है कि या तो सरकार के पास पैसे नहीं हैं या वे अपने वित्त को सही तरीके से संभाल नहीं पा रहे। इसके अलावा, सरकार ने सख्त नियम लागू कर दिए हैं जिससे मनरेगा के तहत विकास कार्य करना लगभग असंभव हो गया है। अब सीधे-सीधे योजना से महात्मा गांधी का नाम हटा दिया गया है।
सुधाकर के अनुसार, यह कदम पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है। उन्हें महात्मा गांधी का नाम हटाने पर शर्म आनी चाहिए। इतिहास को दोबारा नहीं लिखा जा सकता और महात्मा गांधी हमेशा के लिए इतिहास में रहेंगे।