क्या लालू परिवार में कलह के पीछे सिर्फ परिवारवाद है? : मुख्तार अब्बास नकवी
सारांश
Key Takeaways
- मुख्तार अब्बास नकवी ने लालू परिवार के परिवारवाद का उल्लेख किया।
- लोगों के हितों को अनदेखा करना एक गंभीर समस्या है।
- बिहार की जनता ने जदयू का समर्थन किया है।
नई दिल्ली, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने लालू परिवार में चल रही कलह के संदर्भ में सोमवार को कहा कि इन लोगों का जनता के हितों से कोई वास्ता नहीं है। यह एक दुःखद स्थिति है कि ये लोग केवल अपने परिवार को ही पार्टी मानते हैं और उसी को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कारण से आज इनकी ऐसी दुर्दशा हो चुकी है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी भाजपा में लोगों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। हमारा शीर्ष नेतृत्व लोगों के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करता है। हम लोगों के हितों को तवज्जो देते हैं। लालू परिवार में वर्तमान समय में चल रही कलह पर किसी को भी आश्चर्यचकित होने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इन दलों ने चुनाव लड़ने का प्रयास नहीं किया। यदि ये वास्तव में जमीन पर उतरकर चुनाव लड़ते तो स्थिति कुछ और होती। इसके विपरीत, ये लोग कभी चुनाव आयोग से भिड़ते हैं, तो कभी वोट चोरी का मुद्दा उठाकर आम जनता को भ्रमित करने का कार्य करते हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर भी टिप्पणी की और कहा कि अब इस देश में इस पार्टी को कोई पूछने वाला नहीं है। वर्तमान में कांग्रेस की स्थिति ऐसी हो चुकी है कि 'हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हे भी ले डूबेंगे'। कांग्रेस को इस देश में अब कोई नहीं पूछता। यदि कांग्रेस को लगता है कि उसकी खोई हुई विश्वसनीयता वापस आएगी, तो यह उसकी गलतफहमी है। इसलिए, उसे अपनी धारणा से वापस आ जाना चाहिए। कांग्रेस के साथ जो भी जाता है, उसका बंटाधार हो जाता है।
उन्होंने कहा कि बिहार में लोगों ने सुशासन की निरंतरता के लिए जदयू के पक्ष में मतदान किया है और जंगलराज की वापसी पर रोक लगा दी है। बिहार की जनता अपने हितों को प्राथमिकता देती है।
भाजपा नेता ने कहा कि बिहारवासियों ने वोट चोरी को मुद्दा बनाने वालों को उचित जवाब देने का काम किया है। राजनीतिक मैदान में हारने वालों को आत्मचिंतन करना चाहिए। अपनी विसंगतियों पर ध्यान देना चाहिए, ताकि प्रदेश की जनता इन्हें स्वीकार करे।
उन्होंने कहा कि राजनीति के क्षेत्र में हारने वालों को अब यह सोचने की जरूरत है कि सत्ता उनका जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है। जब तक ये ऐसा सोचते रहेंगे, तब तक राजनीति के मैदान में लोग इनकी धुनाई करते रहेंगे।