क्या ममता बनर्जी को अपनी हार का आभास हो गया है? : दिलीप घोष

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क्या ममता बनर्जी को अपनी हार का आभास हो गया है? : दिलीप घोष

सारांश

भाजपा नेता दिलीप घोष ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया है कि वे अपनी हार से घबराकर विरोधियों की आवाजें दबाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध की आवश्यकता होती है, लेकिन ममता इस सच्चाई को नकार रही हैं। क्या ममता की स्थिति वाकई इतनी कमजोर हो चुकी है?

Key Takeaways

  • ममता बनर्जी की हार का डर उन्हें तानाशाही की ओर ले जा रहा है।
  • राज्य में अराजकता की स्थिति बढ़ रही है।
  • विरोधी आवाजों को दबाने से लोकतंत्र को खतरा है।

कोलकाता, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के नेता दिलीप घोष ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों के भीतर चुनाव होने जा रहे हैं और ममता बनर्जी को अपनी हार का अहसास हो रहा है, इसलिए वह जनता की आवाज को दबाने के लिए तत्पर हैं। वह अपने विरोध में उठने वाली हर आवाज को समाप्त करने की कोशिश कर रही हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करके पश्चिम बंगाल की राजनीतिक स्थिति उनके पक्ष में आ जाएगी।

दिलीप घोष ने कहा कि जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज के मुद्दे पर डॉक्टरों ने विरोध किया, तो उन्हें निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही, राज्य सरकार अन्य अधिकारियों पर भी दबाव बना रही है। सरकार की कोशिश है कि राज्य में कोई भी उनकी आलोचना न कर सके। शिक्षकों ने भी उनके खिलाफ आवाज उठाई है, लेकिन ममता की पुलिस ने शिक्षकों के साथ भी दुर्व्यवहार किया।

उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को यह समझना चाहिए कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में विरोधी दल इसलिए होते हैं ताकि वे सरकार की कमियों को जनता के सामने ला सकें। यह दुख की बात है कि ममता बनर्जी किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने राज्य में एक अजीब स्थिति पैदा कर दी है। वह लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को ही नष्ट करने पर आमादा हो चुकी हैं, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि ममता बनर्जी के मन में हार का डर बढ़ता जा रहा है, इसलिए वह अब तानाशाही विचारधारा से काम कर रही हैं। लेकिन, मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि इस बार जनता ने उन्हें सत्ता से बेदखल करने का मन बना लिया है। ममता बनर्जी की स्थिति ऐसी हो गई है कि वह जो कुछ भी सोचती हैं, वह बोल देती हैं और किसी भी मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझ पा रही हैं।

उन्होंने ‘द बंगाल फाइल्स’ फिल्म के बारे में भी अपनी राय दी और कहा कि निश्चित रूप से यह बात अनदेखी नहीं की जा सकती कि लोग सिनेमा हॉल में फिल्म नहीं देख पाएंगे, तो कोई बात नहीं। लेकिन, वे ऑनलाइन देख लेंगे। मुझे लगता है कि पश्चिम बंगाल के लोगों को ‘द बंगाल फाइल्स’ देखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे खुद ही फिल्म की घटनाओं को अपने राज्य में घटित होते देख रहे हैं।

दिलीप घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अराजकता का माहौल है। रोजाना महिलाओं के साथ अपराध हो रहे हैं। लोग ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे राज्य में कोई शासन नहीं है। लोग इस सरकार से बुरी तरह ऊब चुके हैं।

उन्होंने तेजस्वी यादव के बारे में कहा कि यदि उन्हें लगता है कि वे राहुल गांधी को अपने राज्य में बुलाकर राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में कर पाएंगे, तो मैं स्पष्ट कर दूं, यह उनकी गलतफहमी है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें। किसी भी सरकार को आलोचना से बचने का कोई अधिकार नहीं है। पश्चिम बंगाल की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है और यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी आवाजें सुनी जाएं।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

दिलीप घोष ने ममता बनर्जी पर क्या आरोप लगाए?
दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी अपनी हार से घबराकर आवाजों को दबाने का प्रयास कर रही हैं।
पश्चिम बंगाल में चुनाव कब होने जा रहे हैं?
पश्चिम बंगाल में कुछ महीनों बाद चुनाव होने की संभावना है।
क्या ममता बनर्जी लोकतंत्र को खतरे में डाल रही हैं?
दिलीप घोष के अनुसार, ममता बनर्जी लोकतंत्र के मूलभूत ढांचे को नष्ट करने की कोशिश कर रही हैं।