क्या मौलाना अरशद मदनी का बयान निंदनीय है? आतंकवाद पर एकजुटता की आवश्यकता: शगुन परिहार
सारांश
Key Takeaways
- मौलाना अरशद मदनी का बयान विवादास्पद है।
- शगुन परिहार ने आतंकवाद पर एकजुटता की अपील की है।
- आतंकवाद को राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होकर सामना करना चाहिए।
- अमित शाह की रणनीति से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद में कमी आई है।
- सभी समुदायों को मिलकर इस मुद्दे पर काम करना चाहिए।
श्रीनगर, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के नवीनतम बयान पर भाजपा विधायक शगुन परिहार ने तीव्र असहमति जताई है। मदनी ने एक कार्यक्रम में कहा कि लंदन या न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहरों में मुसलमान मेयर बन सकते हैं, जबकि भारत में वही व्यक्ति किसी विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं बन सकता।
भाजपा विधायक शगुन परिहार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मौलाना मदनी को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए थीं, क्योंकि इससे समाज की मानसिकता प्रभावित होती है और अनावश्यक तनाव उत्पन्न होता है। परिहार ने यह भी कहा कि आतंकवाद एक गंभीर मुद्दा है और इस पर राजनीति करने की बजाय एकजुटता की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति के कारण जम्मू-कश्मीर में स्थानीय स्तर पर आतंकवाद लगभग समाप्त हो चुका है। हालांकि, कुछ विदेशी आतंकी अभी भी सक्रिय हैं जो पाकिस्तान समर्थित हैं, लेकिन उनका भी शीघ्र नाश होगा।
शगुन परिहार ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सभी दलों और समुदायों को राजनीति से ऊपर उठकर एकजुट होना चाहिए, क्योंकि यह देश और समाज की सुरक्षा का विषय है।
उन्होंने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन मेडिकल कॉलेज से जुड़े विवाद और पीडीपीमहबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती के आरोपों पर भी प्रतिक्रिया दी।
इल्तिजा ने इस मामले को मुस्लिम विरोधी बताया था, जिस पर शगुन परिहार ने कहा कि उनकी टिप्पणी पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने कहा कि डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं और आज भी उन्हें पूरे देश में सम्मानित किया जाता है। भाजपा के सांसद गुलाम अली खटाना भी मुसलमान हैं और समाज की सेवा कर रहे हैं।
परिहार ने कहा कि इल्तिजा मुफ्ती को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए। उनकी पार्टी की विचारधारा ही ऐसी रही है कि वह विवादित टिप्पणियों के माध्यम से सुर्खियों में रहना चाहती हैं।