क्या मोदी सरकार वैश्विक नेताओं को गले लगाकर 'विश्वगुरु' का दावा कर सकती है? मणिशंकर अय्यर का सवाल

सारांश
Key Takeaways
- विदेश नीति को व्यक्तिगत नहीं बनाना चाहिए।
- कूटनीति का सही उपयोग आवश्यक है।
- अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को मजबूत करना चाहिए।
- सरकार को विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए।
- गले लगाने से 'विश्वगुरु' का दर्जा नहीं मिलता।
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इसे 'व्यक्तिगत' बना दिया गया है और यह केवल वैश्विक नेताओं को गले लगाने तक सीमित रह गई है।
यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार किए जा रहे इस दावे के संदर्भ में थी कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवा दिया।
दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अय्यर ने कहा कि विदेश नीति को कभी भी व्यक्तिगत नहीं बनाना चाहिए।
जब उनसे केंद्र सरकार के उस दावे के बारे में पूछा गया कि देश ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, तो अय्यर ने कहा कि इस सरकार की सबसे बड़ी गलती यह है कि वह कूटनीति को व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत करती है।
अय्यर ने कहा कि केवल यह कहकर कि प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे अधिक नेताओं को गले लगाया और हर जगह दोस्त बनाए, हम यह नहीं कह सकते कि भारत दुनिया में नंबर एक हो गया है। विदेश सेवा का उचित उपयोग रिश्ते बनाने में होना चाहिए और सरकार को ऐसे व्यक्तियों से सलाह लेनी चाहिए जिन्हें विदेश नीति का अनुभव हो।
टैरिफ के मुद्दे पर ट्रंप की लगातार धमकियों और रूस से तेल के आयात पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार, तेल क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनियां अब रूस से तेल नहीं खरीद रही हैं। केवल निजी संस्थाएं ही तेल खरीद रही हैं।
दीपोत्सव के दौरान अयोध्या में रिकॉर्ड तोड़ 26 लाख दीपक जलाने पर प्रतिक्रिया देते हुए अय्यर ने कहा कि मैं नास्तिक हूं, इसलिए मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है।