क्या ओडिशा में सुरक्षा व्यवस्था विफल हो गई है? : भक्त चरण दास

सारांश
Key Takeaways
- ओडिशा में पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गए हैं।
- भक्त चरण दास ने एबीवीपी के आरोपों को चुनौती दी।
- राज्य सरकार पर बाढ़ की स्थिति को कम करके आंकने का आरोप।
- मुख्यमंत्री के हवाई सर्वेक्षण पर उठाए गए सवाल।
- आदिवासी नेता शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी गई।
भुवनेश्वर, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस समिति (पीसीसी) के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के हालिया प्रेस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें ओडिशा पुलिस पर बालासोर घटना के संदर्भ में छात्र शाखा की छवि को नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया गया है।
मीडिया से बात करते हुए भक्त चरण दास ने यह सवाल उठाया कि पुलिस इस मामले में एफआईआर क्यों नहीं दर्ज कर पाई। उन्होंने आरोप लगाया, "यदि समय पर एफआईआर दर्ज की गई होती और उचित कार्रवाई होती, तो शायद हालात अलग होते। पुलिस की निष्क्रियता यह दर्शाती है कि पुलिस पर किसी प्रकार का दबाव था, संभवतः स्थानीय विधायक, सांसद या फिर मुख्यमंत्री के अधीन गृह विभाग का।"
भक्त चरण दास ने आगे कहा कि एबीवीपी द्वारा अपनी पार्टी पर उंगली उठाना प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है। उन्होंने चेतावनी दी, "पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई न करना गंभीर सवाल पैदा करता है। ऐसा लगता है कि अधिकारी कानून के अनुसार कार्य नहीं कर रहे हैं और हालात नियंत्रण से बाहर हो गए हैं।"
उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "वे एक महान आदिवासी नेता थे, जिनका आदिवासी समुदायों के उत्थान और भारतीय राजनीति में योगदान हमेशा सम्मान से याद किया जाएगा।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की चीनी अतिक्रमण पर हालिया टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर भक्त चरण दास ने कहा, "यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है, इसलिए हम इस समय कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।"
इसी बीच, भक्त चरण दास ने राज्य सरकार पर ओडिशा में हाल ही में आई बाढ़ की गंभीरता को कम करके आंकने, लापरवाही, अपर्याप्त योजना और लापरवाही बरतने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि सरकार जमीनी स्तर पर संकट का जवाब देने में पूरी तरह विफल रही है। लोग भोजन, पानी और स्वास्थ्य सेवा के बिना तड़प रहे हैं। यह केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि शासन की भी विफलता है।
उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के हवाई सर्वेक्षणों पर सवाल उठाते हुए कहा, "हम जानना चाहते हैं कि क्या मुख्यमंत्री बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा लोगों की दुर्दशा समझने के लिए कर रहे थे या केवल एक पर्यटक के तौर पर हवाई सर्वेक्षण कर रहे थे। यदि ऐसे सर्वेक्षणों के बाद भी लोगों को बुनियादी राहत नहीं मिल रही है, तो इन दौरों का क्या अर्थ है?"