क्या ओवैसी एक बार फिर बिहार की राजनीति में किस्मत आजमाएंगे? : मंगल पांडेय

सारांश
Key Takeaways
- ओवैसी ने बिहार में महागठबंधन के नेताओं से बातचीत की है।
- मंगल पांडेय का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है।
- तेजस्वी यादव ने वक्फ बिल को लागू नहीं करने का वादा किया है।
- राजद के नेताओं पर मंगल पांडेय ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
- बिहार की जनता आगामी चुनाव में नेताओं को जवाब देने के लिए तैयार है।
पटना, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। एआईएमआईएम के नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार की सियासत में एक नई हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने बिहार में महागठबंधन के नेताओं से बातचीत की है।
ओवैसी का यह भी कहना है कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को पुनः सत्ता में आने से रोकने के लिए संकल्पित है। उनका यह बयान बिहार के राजनीतिक वातावरण में चर्चा का केंद्र बन गया है।
इस पर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "असदुद्दीन ओवैसी ने पहले भी बिहार में चुनाव लड़ा है। वे वापस आकर चुनाव लड़ सकते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी को रोका नहीं जा सकता और न ही ऐसा होना चाहिए। लोकतंत्र में सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है।"
वहीं, वक्फ बिल को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी सरकार सत्ता में आई तो वे वक्फ बिल को बिहार में लागू नहीं होने देंगे और इसे कूड़ेदान में फेंक देंगे।
तेजस्वी यादव के इस बयान पर मंगल पांडेय ने पलटवार करते हुए कहा, "ये लोग हमेशा से बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान का अपमान करते आए हैं। ये उसी पार्टी से हैं, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बाबा साहेब की तस्वीर को अपने पैरों के पास रखते हैं।"
मंगल पांडेय ने आगे कहा कि राजद नेताओं ने कई बार संसद में कानून की प्रतियों को फाड़ने का काम किया है और संसद से पारित कानूनों को मानने से इनकार किया है। यह वही लोग हैं, जिन्होंने कई बार संसद से बने कानून की प्रतियों को संसद में फाड़ा है। ऐसे लोग बिहार की जनता आगामी विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से खारिज करने का मन बना चुके हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बयान लोकतंत्र का अपमान है। संसद जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की पंचायत है। वहां से पारित कानून को न मानना और उसे कूड़ेदान में फेंकने की बात करना लोकतांत्रिक परंपराओं का अपमान है। तेजस्वी यादव का बयान साफ तौर पर लोकतंत्र को कूड़ेदान में फेंकने की बात करता है। बिहार की जनता समय-समय पर ऐसे नेताओं को जवाब देती रही है और भविष्य में भी देगी।