क्या परिसीमन न होने से बिहार जैसे राज्यों को नुकसान हो रहा है? : उपेंद्र कुशवाहा

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क्या परिसीमन न होने से बिहार जैसे राज्यों को नुकसान हो रहा है? : उपेंद्र कुशवाहा

सारांश

बिहार के गया में आयोजित 'संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार महारैली' में उपेंद्र कुशवाहा ने स्पष्ट किया कि परिसीमन के अभाव के कारण बिहार को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि यह मुद्दा केवल लोकसभा सीटों का नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का भी है।

Key Takeaways

  • परिसीमन का मुद्दा बिहार के विकास से जुड़ा है।
  • उपेंद्र कुशवाहा ने विपक्ष पर निशाना साधा।
  • आबादी के अनुसार लोकसभा सीटों की संख्या बढ़नी चाहिए।
  • आवश्यकता है कि सभी वर्गों को सही प्रतिनिधित्व मिले।
  • यह मुद्दा सामाजिक न्याय से संबंधित है।

गया, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के गया में रविवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने 'संवैधानिक अधिकार-परिसीमन सुधार महारैली' का आयोजन किया। इस रैली में भाग लेने मोर्चा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी पहुंचे।

उन्होंने इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए जहां परिसीमन सुधार की वकालत की, वहीं विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि परिसीमन नहीं होने से बिहार जैसे राज्यों को बहुत नुकसान हो रहा है।

राज्यसभा सांसद कुशवाहा ने कहा कि आपातकाल के बाद परिसीमन का कार्य रोक दिया गया, जो अभी तक रुका हुआ है। इस रुकावट से बिहार और उसके आसपास के कुछ राज्यों को बहुत नुकसान हो रहा है। अगर पुरानी व्यवस्था के अनुसार 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ होता, तो बिहार में लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 40 से बढ़कर कम से कम 60 हो गई होती। विधानसभा क्षेत्र की संख्या भी उसके अनुरूप बढ़ती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 50 साल से यह प्रक्रिया रुकी हुई है, जिससे बिहार के लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा है।

उन्होंने कहा कि परिसीमन का मुद्दा जनता के हक से जुड़ा है। संविधान में हर दस साल पर जनगणना के बाद परिसीमन का प्रावधान है। कुशवाहा ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ लोकसभा सीटों की नहीं, बल्कि विधानसभा सीट, दलितों-पिछड़ों, महिलाओं के आरक्षण और उनके सही प्रतिनिधित्व की भी है। आज दक्षिण भारत में 21 लाख की आबादी पर एक सांसद है, जबकि बिहार में 31 लाख पर। इससे न संसदीय प्रतिनिधित्व सही है और न विकास का पैसा न्याय से मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि सदन में 60 सांसद बिहार के लिए आवाज उठाएंगे तो हमारा बिहार विकसित होगा। उन्होंने लोगों से 'ताकत' देने की अपील करते हुए कहा कि हम मजबूती से आपकी आवाज सदन में उठाएंगे। यह हकमारी सभी समुदाय, सभी वर्ग और सभी धर्म की है।

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारी पार्टी ने तय किया है कि हमें आम लोगों के बीच यह जानकारी पहुंचानी है कि परिसीमन के अधिकार से हम वंचित हैं और हमारा नुकसान हो रहा है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि परिसीमन का मुद्दा केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह बिहार के विकास और सामाजिक न्याय का महत्वपूर्ण पहलू है। इस पर चर्चा करना और समाधान खोजना आवश्यक है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

परिसीमन क्या है?
परिसीमन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा चुनावी क्षेत्रों की सीमाओं को पुनर्निर्धारित किया जाता है, ताकि जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
क्यों आवश्यक है परिसीमन?
परिसीमन आवश्यक है ताकि जनसंख्या वृद्धि के अनुसार संसदीय प्रतिनिधित्व में संतुलन बना रहे और सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
उपेंद्र कुशवाहा ने परिसीमन के बारे में क्या कहा?
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार को परिसीमन के अभाव में भारी नुकसान हो रहा है, और यह मुद्दा समाज के सभी वर्गों से जुड़ा है।
परिसीमन न होने से क्या समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं?
परिसीमन न होने से संसदीय प्रतिनिधित्व का असंतुलन, विकास के लिए फंड का गलत वितरण और सामाजिक न्याय का अभाव हो रहा है।
इस मुद्दे पर आम जनता की क्या राय है?
आम जनता इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और बदलाव की मांग कर रही है, ताकि उन्हें सही प्रतिनिधित्व मिल सके।