क्या ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज ने यहूदी समुदाय से आतंकी घटना के लिए माफी मांगी?
सारांश
Key Takeaways
- ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों के खिलाफ आतंकवादी हमला हुआ।
- पीएम एंथनी अल्बनीज ने माफी मांगी।
- सरकार सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की योजना बना रही है।
- पुलिस ने हमले की नई जानकारी साझा की।
- इस घटना की जांच का निर्णय किया गया है।
नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बोंडी बीच पर यहूदियों के खिलाफ हुए आतंकवादी हमले के लिए प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने माफी मांगी। इस हमले में, जो कि हनुक्का इवेंट के दौरान हुआ, आतंकियों ने गोलीबारी की, जिसमें 15 लोग मारे गए थे। पुलिस ने हमले की योजना के बारे में नई जानकारी साझा की और जीवित बचे आरोपी को जेल भेज दिया।
पीएम अल्बनीज ने अपने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि वह इस घटना के लिए गहरी जिम्मेदारी महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री के रूप में, मैं उस जुल्म के लिए जिम्मेदार महसूस करता हूं जो मेरे प्रधानमंत्री रहते हुए हुआ, और यहूदी समुदाय और हमारे पूरे देश ने जो अनुभव किया है, उसके लिए मुझे दुख है।"
उन्होंने आगे कहा, "सरकार यहूदी ऑस्ट्रेलियाई लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर दिन प्रयास करेगी, और यह सुनिश्चित करेगी कि वे अपने धर्म का पालन करते हुए गर्व महसूस करें और ऑस्ट्रेलियाई समाज में पूरी तरह से शामिल हो सकें।"
यह माफी उस समय आई है जब इजरायल की तरफ से लगातार चेतावनियों को अनदेखा करने का आरोप लगाया जा रहा है। पीएम ने हमले की जांच के लिए नेशनल रॉयल कमीशन गठित न करने के अपने निर्णय का बचाव किया है। उन्होंने एक फेडरल रिव्यू का समर्थन किया है जो पूर्व स्पाई चीफ डेनिस रिचर्डसन की अगुवाई में होगा।
एंथनी अल्बनीज ने कहा कि इससे एक्शन लेने लायक नतीजे जल्दी मिल सकते हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी घोषणा की है कि सरकार हेट स्पीच कानूनों को मजबूत करने की योजना बना रही है और संरक्षित समुदायों के खिलाफ हिंसा को आपराधिक कृत्य घोषित करने के उद्देश्य से विधायी पैकेज पर चर्चा शुरू करेगी।
अटॉर्नी-जनरल मिशेल रोलैंड ने कहा कि इस चर्चा में यहूदी समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ नए प्रस्तावित अपराधों के ढांचे पर करीबी बातचीत शामिल होगी। गृह मंत्री टोनी बर्क ने कहा कि अधिकारी वर्तमान में काम कर रहे समूहों के पिछले व्यवहार की जांच करेंगे, ताकि यह तय किया जा सके कि उन्हें सख्त कानूनों के तहत बैन किया जाना चाहिए या नहीं।