क्या अनुपूरक बजट की आवश्यकता है जब केवल २४ प्रतिशत ही खर्च हुआ है?
सारांश
Key Takeaways
- अनुपूरक बजट की पेशकश में सरकार की आवश्यकता है।
- सपा ने सरकारी खर्च पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
- विधानसभा में दलितों और पिछड़ों की चर्चा की आवश्यकता है।
लखनऊ, २२ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इस सत्र के दौरान योगी सरकार ने सोमवार को अनुपूरक बजट पेश किया है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि वह जनता के पैसे का सही उपयोग नहीं कर रही है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "संविधान के अनुसार, सरकार को अनुपूरक बजट पेश करने का अधिकार है। यदि आवंटित फंड से अधिक खर्च की आवश्यकता होती है, तो इसे कंसोलिडेटेड फंड से निकालने के लिए सदन में पेश करना पड़ता है। जब सदन इसे मंजूरी देता है, तभी सरकार पैसा खर्च कर सकती है। अब चर्चा इस बात पर होगी कि यह अनुपूरक बजट कब और किन हालात में लाया जा रहा है।"
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने कहा, "मैंने कई बार भाजपा के अनुपूरक बजट को देखा है। वे बजट को खर्च नहीं कर पाते हैं। इस बार भी ऐसा ही होने वाला है। सरकार में अनुपूरक बजट के पैसों के साथ बंदरबांट होगा।"
सपा विधायक कमल अख्तर ने कहा, "जब सरकार बजट लाती है तो पिछला बजट खर्च होने के बाद वह सप्लीमेंट्री बजट भी लाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक केवल २४ प्रतिशत ही खर्च हुआ है, तो अब नया अनुपूरक बजट लाने का क्या मतलब है? सरकार पहले बड़ा बजट पेश कर फिर उसे खर्च न करके लोगों को गुमराह करती है, जिससे विकास और चल रही योजनाओं में रुकावट आती है।"
सपा विधायक मुकेश वर्मा ने कहा, "वर्तमान सरकार विधानसभा नहीं चलाना चाहती है। अगर विधानसभा चलेगी तो दलितों, पिछड़ों और शोषितों की चर्चा होगी, जिससे उनकी समस्याओं पर ध्यान दिया जाएगा। इसलिए वे चर्चा से भाग रहे हैं। वर्तमान सरकार बेईमान है। उन्होंने लेखपाल और अध्यापक भर्ती में घोटाला कर दिया है। जितनी भी नौकरी निकाली जा रही है, उन सबमें घोटाला हो रहा है।