क्या पटना के सरस मेले में स्वदेशी उत्पादों की झलक और पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाने का समय है?
सारांश
Key Takeaways
- सरस मेला ग्रामीण उत्पादों का एक अनूठा प्रदर्शन है।
- यह मेला बिहार की संस्कृति को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
- स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं इस मेले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- मेले में पारंपरिक व्यंजनों का विशेष महत्व है।
- सरकार का ध्यान ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ करने पर है।
पटना, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में चल रहे सरस मेले में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इस मेले में शिल्प, हस्तकला और स्वदेशी उत्पादों की झलक देखने को मिल रही है। लोग यहां पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद भी ले रहे हैं। यह मेला न केवल शिल्पकारों और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के हुनर को पहचान दे रहा है, बल्कि बिहार की समृद्ध संस्कृति को भी एक मंच प्रदान कर रहा है।
12 दिसंबर से शुरू हुए इस मेले में अब तक एक लाख से अधिक लोग आ चुके हैं। सरकार का मानना है कि इस मेले का उद्देश्य ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ बनाना, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को मार्केटिंग, ब्रांडिंग और पैकेजिंग की उन्नत तकनीकों से जोड़ना और ग्रामीण व शहरी उपभोक्ताओं के बीच सीधा संपर्क स्थापित करना है।
इस वर्ष मेले में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं की भागीदारी और भी बढ़ी है। 28 दिसंबर तक चलने वाले इस मेले में रोज सांस्कृतिक कार्यक्रम, उत्पाद प्रदर्शनी और थीम आधारित आयोजन हो रहे हैं।
ठंड के बावजूद पटना में लोग मेले का आनंद ले रहे हैं। इस मेले में ग्रामीण शिल्प कलाओं के प्रेमी काफी संख्या में आ रहे हैं।
चाची के आचार और मणिपुर के कउना घास से बनी कलाकृतियां दर्शकों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। इसके साथ ही टिकुली, सिक्की, बैम्बू आर्ट, मधुबनी आर्ट, हस्तकरघा से निर्मित सामग्री और गृह सज्जा के अद्भुत सामान यहां उपलब्ध हैं।
मेले में अधिकांश स्टॉलों की जिम्मेदारी महिलाओं ने संभाल रखी है। लकड़ी से बने खिलौने भी लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। इस बार सरस मेले में चार नदियों गंगा, कोसी, गंडक और महानंदा के नाम पर स्टॉल सजाए गए हैं। करीब 500 स्टॉल पर ग्रामीण कलाओं की झलक देखने को मिल रही है। ठंड में खाने के लिए सोंठ, तीसी और आयुर्वेदिक लड्डू भी लोगों को भा रहे हैं।
जीविका की राज्य परियोजना प्रबंधक नाजिश बानो बताती हैं कि इस वर्ष मेले में भीड़ काफी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पहुंचने वाले लोग खरीदारी भी कर रहे हैं, जिससे स्टॉल पर रहने वालों का उत्साह भी बढ़ा है।