क्या पश्चिम बंगाल में एसआईआर की कोई आवश्यकता नहीं है? कीर्ति आजाद

सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक अधिकार है।
- प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
- समाज में राजनीतिक चर्चाएँ महत्वपूर्ण हैं।
- खेल जगत से आने वाले नेताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है।
- बंगालियों की छवि को सुधारने की आवश्यकता है।
बर्धमान, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के कटवा विधानसभा क्षेत्र में प्रतिभाशाली छात्रों को सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में बर्धमान-दुर्गापुर के सांसद और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कीर्ति आजाद ने चुनाव आयोग की एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब एक वर्ष पहले ही लोकसभा चुनाव हो चुके थे, तब बंगाल में एसआईआर फिर से लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बिहार में इसे एक वर्ष पहले लागू किया गया था, लेकिन यहाँ इसकी कोई जरूरत नहीं है।
कीर्ति आजाद ने आधार कार्ड पर चुनाव आयोग के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी आधार को मान्यता दे दी है और भारत में लगभग हर चीज इसी पर निर्भर करती है, तो चुनाव आयोग इसे लेकर आपत्ति क्यों उठाता है?
पाकिस्तान के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दावा है कि उन्होंने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर कब्जा क्यों नहीं किया? विदेशी नेताओं की टिप्पणियों से हमारी सेनाओं का मनोबल कमजोर नहीं होगा।
कीर्ति आजाद ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने हर वर्ष दो करोड़ नौकरियाँ देने का वादा किया था। अब 80 करोड़ लोगों को नौकरी देने के बजाय उन्हें केवल 5 किलो अनाज दिया जा रहा है। पीएम मोदी केवल झूठ बोलकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं।
राज्य के साथ अपने निजी जुड़ाव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि "मैं खेल जगत से आया हूँ। हालांकि मैं बंगाली नहीं हूँ, फिर भी किसी ने मुझे बाहरी नहीं समझा। पूरे भारत में लोग बंगालियों से प्रेम करते हैं। भाजपा उनकी छवि को खराब कर रही है और हम इसके खिलाफ लड़ेंगे।" उन्होंने अपने भाषण का समापन जय बांग्ला के नारे के साथ किया।