क्या पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की? : दयाशंकर सिंह

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र को गहरा धक्का पहुंचाया।
- इंदिरा गांधी ने सत्ता में बने रहने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नष्ट किया।
- काला दिवस हमें लोकतंत्र की रक्षा की याद दिलाता है।
- आपातकाल के दौरान मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।
- समाज को जागरूक रहना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
गोरखपुर, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह ने आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर शुक्रवार को गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में उस समय के बारे में लगाई गई एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे आपातकाल के “काले दौर” को समझें कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र की हत्या की थी।
दयाशंकर सिंह ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत की। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सत्ता के नशे में चूर थीं। न्यायालय द्वारा अयोग्य घोषित होने के बाद, उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए लोकतांत्रिक परंपराओं को नष्ट किया और पूरे देश में आपातकाल लागू किया।
आपातकाल लगाकर उन्होंने वास्तव में लोकतंत्र की हत्या की। इसीलिए हर साल 25 जून को काला दिवस के रूप में मनाया जाता है। जनता को समझना होगा कि कैसे कांग्रेस की सरकार ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संवैधानिक मर्यादाओं को तोड़ा। उस समय लोगों ने कड़ा संघर्ष किया। जेलों में यातनाएं दी गईं, पुरुषों के हाथों की उंगलियों से नाखून उखाड़ लिए गए और गर्भवती महिलाओं को भी यातनाएं दी गईं।
उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पिता ने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी और जेल गए। दुर्भाग्य से, उनके पुत्र आज कांग्रेस के साथ खड़े हैं।
जब उनसे पूछा गया कि आपातकाल के समय की कांग्रेस और वर्तमान कांग्रेस में क्या अंतर है, तो मंत्री ने कहा कि कांग्रेस अब खत्म हो चुकी है। उसके पास अब कुछ भी नहीं बचा है। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में वह कुछ नहीं कर सकी। यहां के नेता विधानसभा में जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका हाल कभी नहीं बदल सकता। देश और प्रदेश की जनता कांग्रेस के करतूतों से वाकिफ है।