क्या राहुल गांधी की 'मतदाता अधिकार रैली' सिर्फ एक पिकनिक है?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की यात्रा 17 अगस्त से शुरू होगी।
- भाजपा सांसद ने इसे पिकनिक कहा है।
- विपक्षी दलों को विकास के मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए।
- मतदाता सूची का शुद्धिकरण आयोग का कार्य है।
- बिहार विकास की दिशा में अग्रसर है।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बिहार में 'मतदाता अधिकार यात्रा' प्रारंभ करने जा रहे हैं। यह यात्रा 17 अगस्त से शुरू होगी। इस पर भाजपा सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के पास कोई मुद्दा नहीं है, वह केवल पिकनिक मना रहे हैं।
प्रदीप कुमार सिंह ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि राहुल गांधी यात्रा तो कर रहे हैं, लेकिन उनके पास कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है। मेरा मानना है कि वह बस पिकनिक मना रहे हैं। वह सालों से ऐसी यात्राएं करते आ रहे हैं, फिर भी लगभग 15 वर्षों में केवल 99 सीटें ही जीत पाए हैं। कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है।
उन्होंने कहा कि एसआईआर का मुद्दा कोई नई बात नहीं है। चुनाव आयोग ने समय-समय पर इसे उठाया है। उनकी सरकारें बिहार में थीं, और 2003 में भी ऐसा ही हुआ था। इसलिए, यह फिर से ध्यान भटकाने की एक चाल है। बिहार में चुनाव नजदीक आने पर, ये लोग जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बिहार विकसित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश और बिहार विकास की तरफ अग्रसर है।
उन्होंने एसआईआर के विरोध प्रदर्शन के बारे में कहा कि विपक्षी दल विकास के नाम पर कोई चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं। लगातार विपक्षी दलों ने देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया है। लोकसभा में इन लोगों ने आरक्षण का मुद्दा उठाया, संविधान पर खतरा बताया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। एसआईआर तो एक प्रक्रिया है, जो समय-समय पर होती रहती है। अगर किसी मतदाता का निधन हो जाता है, उसका नाम मतदाता सूची से हटाने का काम चुनाव आयोग करता है। इसी तरह से युवाओं का नाम जोड़ा भी जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि मतदाता सूची का शुद्धिकरण करना आयोग का काम है। इसको मुद्दा बनाने की आवश्यकता नहीं है। विपक्षी दलों को बांग्लादेशी और रोहिंग्या पसंद हैं, इनके वोट से अगर सत्ता मिल जाए तो वह तैयार हैं। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए चुनाव आयोग यह काम कर रहा है।