क्या संविधान का अनादर कर 'चुनाव बहिष्कार' की बातें करना सही है? : शहजाद पूनावाला

सारांश
Key Takeaways
- संविधान का सम्मान आवश्यक है।
- लोकतंत्र को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।
- परिवारवाद और व्यक्तिगत एजेंडे की राजनीति से दूर रहना चाहिए।
नई दिल्ली, १३ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राजद के नेता तेजस्वी यादव द्वारा 'चुनाव बहिष्कार' पर दिए गए बयानों पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जो लोग संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं की बजाय परिवारवाद पर भरोसा करते हैं, जो व्यक्तिगत एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं और संविधान निर्माताओं का अनादर करते हैं, वे स्वाभाविक रूप से ऐसे बयान देते हैं।
पूनावाला ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में राजद के नेता मनोज झा के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा कि भारतीय चुनाव आयोग को बांग्लादेश के चुनाव आयोग की तरह कार्य नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन लोगों का परिवार तंत्र और संविधान तंत्र में विश्वास अधिक है, जबकि लोकतंत्र में कम। जो लोग शरिया की वकालत करते हैं और संविधान के निर्माताओं की तस्वीरों को अपने पैरों तले रखते हैं, उनके लिए ऐसे बयान देना सामान्य है।
उन्होंने तंज करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने जब चुनाव बहिष्कार की बात की, तो उन्होंने खालिदा जिया जैसी बातें कीं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये न अंबेडकर के संविधान को मानते हैं और न ही संविधान के कानून को। इनकी मानसिकता गैर लोकतांत्रिक है, इसलिए वे चुनाव बहिष्कार की बातें करते हैं।
पूनावाला ने इस दौरान कांग्रेस पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि 1983 में सोनिया गांधी नागरिक बनीं, तो 1980 की मतदाता सूची में उनका नाम कैसे आया? यह वोट चोरी का सबसे बड़ा प्रमाण है। रायबरेली से लेकर वायनाड तक एक प्रकार के फर्जी वोट बनते हैं। क्या यह सेकुलर वोट चोरी है? चुनाव आयोग केवल एक बहाना है, इनको अराजकता फैलानी है और हार का बहाना चाहिए।