क्या संसद में सरकार के काम में बाधा डालना और रोकना अलोकतांत्रिक है?: किरेन रिजिजू

सारांश
Key Takeaways
- संसद के कार्यों में बाधा डालना अलोकतांत्रिक है।
- विपक्ष की भूमिका लोकतंत्र में महत्वपूर्ण है।
- संसद में सभी दलों को मिलकर काम करना चाहिए।
- बिलों का पारित होना देश की प्रगति के लिए जरूरी है।
- लोकतंत्र में असहमति आवश्यक है, लेकिन यह उचित तरीके से होनी चाहिए।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। संसद के मानसून सत्र का अंतिम दिन था। इस बार का मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहा। इस दौरान केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। असहमति और विरोध करना अपनी बात को साझा करने का लोकतांत्रिक तरीका है, लेकिन संसद में सरकार के काम में बाधा डालना और उसे रोकना अलोकतांत्रिक है।
किरेन रिजिजू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार के दृष्टिकोण से यह सत्र देश के लिए बहुत लाभकारी रहा है, लेकिन विपक्ष के सांसदों, विशेषकर नए सांसदों को सदन में बोलने का अवसर नहीं मिला। सत्र के दौरान सांसद अपने लोकसभा क्षेत्र की समस्याओं को उठाते हैं, लेकिन कई विपक्षी सांसदों को बोलने का मौका नहीं दिया गया, जिसके लिए विपक्ष के नेता जिम्मेदार हैं। उन्होंने एनडीए और अन्य भाग लेने वाले दलों का भी धन्यवाद किया।
उन्होंने यह भी कहा कि एक बात उन्हें चोट पहुँचाती है। कैप्टन शुभांशु शुक्ला पर चर्चा हो रही थी, लेकिन विपक्ष ने उसे रोक दिया, जो कि दुखद है। कई बिल पारित किए गए हैं, और कुछ बिलों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है। इनमें तीन महत्वपूर्ण बिल हैं: गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025। ये ऐसे बिल हैं, जिनमें आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री को रखा गया है। लोग अपने बचाव के लिए कानून बनाते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष के कुछ सदस्य भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बिल का देशभर में स्वागत हो रहा है, मेरे पास कई संदेश आए हैं।
उन्होंने कहा कि विरोध तो होना चाहिए, और लोकतंत्र में यह आवश्यक है, लेकिन संसद के कामकाज में बाधा डालना अनुचित है। हमारी पार्टी ने लंबे समय तक विपक्ष में रहकर यह सुनिश्चित किया कि विरोध से किसी को चोट न लगे और न ही सीमा लांघी जाए। देश के खिलाफ बात करना, चुनाव आयोग को गालियाँ देना, और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोलना लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है।